सूरत : शहर में कुत्ते के काटने पर नियंत्रण लगाने मनपा आयुक्त को ज्ञापन 

सूरत : शहर में कुत्ते के काटने पर नियंत्रण लगाने मनपा आयुक्त को ज्ञापन 

संगठनों या संस्थाओं को आवारा कुत्तों की दिखभाल की जिम्मेदारी देः दर्शन नायक 

सूरत  शहर में पिछले कुछ समय से कुत्तों के काटने की घटनाएं बढ़ गई हैं। किसान एवं सहकारिता अग्रणी तथा गुजरात प्रदेश कांग्रेस महासचिव दर्शन नायक ने सूरत नगर निगम आयुक्त शालिनी अग्रवाल को ज्ञापन देकर आवारा कुत्तों के हमले को रेकने के लिए उचित कार्यवाही की मांग की है। 

दर्शन नायक ने अधिक जानकारी देते हुए कहा कि आवारा कुत्तों द्वारा छोटे बच्चों पर जानलेवा हमले की घटनाओं से आम नागरिकों में दहशत का माहौल है। हाल ही में अश्वनीकुमार रोड स्थित सोसाइटी में एक बच्ची पर कुत्ते ने हमला कर दिया और उसके गाल पर गहरा घाव कर दिया, जिससे बच्ची को प्लास्टिक सर्जरी करानी पड़ी।

पिछले रविवार को खजोद स्थित डायमंड बुर्स श्रमिक कॉलोनी में तीन कुत्तों ने मासूम दो वर्षीय बच्ची पर जानलेवा हमला कर दिया। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। सूरत शहर में आवारा कुत्तों के हमले की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। फरवरी के पहले पखवाड़े में ही सूरत शहर में डॉगबाइट के 477 मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन कुत्तों के काटने की बढ़ती संख्या को देखते हुए लगता है कि नगर निगम के अधिकारियों द्वारा किसी तरह की ठोस कार्रवाई नही की जा रही है।

शहर में कुत्तों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है क्योंकि सिस्टम और ठेकेदार एजेंसियां ​​आवारा कुत्तों की नसबंदी का काम धीमी गति से कर रही हैं। कुत्तों के व्यवहार में भी बदलाव आने से कुत्ते और भी आक्रामक हो गए हैं। सूरत शहर में आवारा कुत्तों को खिलाने और इलाज की जिम्मेदारी कुछ स्वैच्छिक संगठनों और ट्रस्टों द्वारा उठाई जाती है।

हाल ही में मनुष्यों पर कुत्तों के हमलों की बढ़ती घटनाओं के बाद अबोलजीव चैरिटेबल ट्रस्ट ने नगर आयुक्त और स्थायी समिति के अध्यक्ष को एक अनुरोध पत्र जारी किया जिसमें नगर निगम ने इस तरह के आक्रामक व्यवहार वाले कुत्तों को रखने और इलाज की जिम्मेदारी लेने की इच्छा व्यक्त की है। यदि नगर निगम उन्हे टोकन रेंट पर प्लॉट आवंटित करता है तो।  शहर के अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग स्वयंसेवी संस्थाओं को ऐसी जिम्मेदारी दी जाए तो आवारा कुत्तों के हमलों की घटनाओं पर काबू पाया जा सकता है।

सूरत नगर निगम द्वारा पीपीपी आधार पर जितने प्रोजेक्ट किए जा रहे हैं, कुत्तों को पकड़ने या कुत्तों को उचित स्थान पर रखने के लिए किसी एजेंसी को पीपीपी आधार पर काम क्यों नहीं दिया जा रहा है? यह भी एक सवाल है कि ऐसे हालात में निजी ट्रस्टों और स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद क्यों नहीं ली जाती। जब जिस एजेंसी को कुत्तों को भगाने का ठेका दिया गया है, उसके पास पर्याप्त उपकरण और आदमियों की टीम नहीं है और तेजी से भगाने का काम नहीं किया जा सकता है। नगर पालिकाओं को स्वयंसेवी संस्थाओं से भी मदद लेनी चाहिए।

सूरत नगर निगम को उपरोक्त मामले को बहुत गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। दर्शन नायक ने मनपा आयुक्त से कहा कि मुझे लगता है कि आप अधिकारियों की एक टीम बनाकर कुत्ते के काटने की घटनाओं को रोकने के लिए स्वयंसेवी संगठनों और एजेंसियों के साथ-साथ सूरत के नागरिकों के हित में कदम उठाएंगे। 

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