सूरत  : कतारगाम के 51 फार्महाउसों के संपत्ती कर आकलन घोटाले में 11 सर्वेक्षकों को नोटिस

पार्किंग एरिया बड़ा दिखाकर नगर पालिका को 30 करोड़ के संपत्ति कर का चूना लगाया गया 

सूरत  : कतारगाम के 51 फार्महाउसों के संपत्ती कर आकलन घोटाले में 11 सर्वेक्षकों को नोटिस

धोखाधड़ी करने के लिए गलत असेसमेंट मंजूर करने वाले नगर निगम के अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं

सूरत शहर के कतारगाम जोन में कुछ फार्म हाऊसों का आकलन ऑन पेपर नहीं  दिखाया गया तथा कम आंकलन दर्शाने की शिकायत में 2 सप्ताह बीत जाने के बाद भी जांच पूरी नहीं की गयी है। वहीं कतारगाम जोन के मूल्यांकन विभाग के तत्कालीन 11 सर्वेक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किये जाने पर हंगामा हो गया है। उच्चाधिकारियों की स्वीकृति के बाद ही मूल्यांकन सरकारी किताबों में दर्ज होने के बावजूद छोटे कर्मियों को ही नोटिस देने पर सर्वेक्षक नाराज हो गए हैं।

इस मामले में फार्म हाउस के कुल क्षेत्रफल के बगीचे और पार्किंग क्षेत्र के आकलन में स्थल पर विसंगतियां पाई गई। इससे नगर निगम के खजाने को प्रति वर्ष छह करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है।  पिछले पांच साल से नगर पालिका के उच्चाधिकारियों ने मूल व पुनरीक्षण आकलन का क्रास वेरिफिकेशन किया है। सर्वे करने वालों को कारण बताओ नोटिस जारी होने के बाद यह भी उम्मीद है कि आने वाले दिनों में असेसमेंट घोटाले की विस्फोटक जानकारी सामने आएगी। उल्लेखनीय है कि अगर इस मामले में निष्पक्ष जांच हुई तो कई अधिकारियों की संलिप्तता सामने आ सकती है। 

जांच कमेटी 2 हफ्ते बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी

भाजपा नगरसेवक नरेंद्र नंदलाल पांडव ने 6 फरवरी को कतारगाम में 9 फार्म हाउसों की सूची के साथ नगर निगम आयुक्त के पास एक लिखित शिकायत दर्ज की थी। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि मूल्यांकन कम था और कुछ फार्म का तो आकलन ही ऑन पेपर नहीं दर्शाया था। जांच शुरू होते ही जिम्मेदार अधिकारी अचानक छुट्टी पर चले गए। 

पालिका आयुक्त शालिनी अग्रवाल ने स्वयं इस मामले में संदेहास्पद स्थिति होने की बात कहते हुए शहर भर में 300 से अधिक खुले भूखण्डों, फार्म हाऊस पार्टी, प्लोट के मूल मूल्यांकन एवं पुनरीक्षण मूल्यांकन के सत्यापन के निर्देश दिये। कतारगाम के 51 फार्म हाउसो के मामले में भी जांच सौंपी गई थी। हालांकि 2 हफ्ते बीत जाने के बाद भी जांच कमेटी इस बारे में किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।

इतने अधिकारियों के हस्ताक्षर के बावजूद घोटाला हुआ

मूल्यांकन सर्वेक्षक संपत्ति के स्थान के अनुसार आवासीय और वाणिज्यिक कोड के साथ मूल माप सर्वेक्षण फाइल करता है। जब यह फाइल उनके सुपरवाइजर के पास जाती है, प्रॉपर्टी में कोई क्वेरी हो, स्थल भी वेरिफाई करना हो तो सुपरवाइजर फाइल की जांच करता है और उसके बाद साइन करता है। मूल्यांकन फ़ाइल तब अनुभाग अधिकारी ( सेक्शन ऑफिसर) के पास जाती है जो जाँच करने के बाद हस्ताक्षर करते हैं। हालांकि तब तक फाइल फाइनल नहीं होती जब तक एआरओ (एसेसमेन्ट रिटर्निंग ऑफिसर) जांच कर हस्ताक्षर नहीं करते। एआरओ के हस्ताक्षर के बाद फाइल फील्ड बुक क्लर्क के पास जाती है। वह कंप्यूटर में एप्लिकेशन डेटा और कोड भरता है, फिर उस डेटा पर एसओ की मंजूरी मांगी जाती है। उनकी मंजूरी के बाद एआरओ की मंजूरी ली जाती है। उसके बाद भी मालिक के नाम से विशेष नोटिस जारी किया जाता है, जिसे 15 दिनों की अवधि के भीतर आपत्तियां उठानी होती है। उसके बाद ही असेसमेंट फाइल अपलोड होती है।

शिकायत के बाद में क्यों नए 15 फार्मों का आकलन किया गया?

पार्षद नरेंद्र पांडव ने रोष जताते हुए कहा कि जांच में लापरवाही बरती जा रही है। शिकायत के बाद मूल्यांकन विभाग ने 15 फार्मों के मूल्यांकन देरी से क्यों ऑन पेपर दिखाए। शिकायत में बताए गए 9 फार्मों पर अधिकारी जवाब नहीं दे रहे हैं और छुट्टी पर चले गए हैं। जोन के अधिकारियों की मिलीभगत से नगर पालिका को हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान होता है।

Tags: Surat