
सूरत : मांडवी के पिपरिया गांव में हुई "घुड़दौड़ प्रतियोगिता", जानिए कौन से घोड़े रहे आकर्षण का केंद्र
राजस्थान, महाराष्ट्र, कच्छ समेत राज्य भर से 100 से अधिक घोड़ों ने भाग लिया
क्रिकेट, फुटबॉल और हॉकी जैसे खेलों की वजह से असल खेल दम तोड़ रहे हैं जिनमें से एक घुड़दौड़ है। राजा रजवाड़ाें के समय में घुड़दौड़ जैसी प्रतियोगिताओं को महत्व दिया जाता था। लेकिन आजकल कभी-कभार कहीं इक्का-दुक्का ऐसे आयोजन हो जाया करते हैं। इसी क्रम में सूरत जिले के मांडवी तालुक के पिपरिया गांव में घुड़दौड़ का आयोजन किया गया। राजस्थान, महाराष्ट्र, कच्छ समेत राज्य भर से 100 से अधिक घोड़ों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में प्रदेश के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने हरी झंडी दिखाकर प्रतियोगिता की शुरुआत की।
To ride on a horse is to fly without wings.
— Harsh Sanghavi (@sanghaviharsh) February 12, 2023
Attended the "2023" Horse riding competition organised by Tiger Horse Group in Surat, today. pic.twitter.com/D3v26R2s12
टाइगर हॉर्स एसोसिएशन द्वारा घुड़दौड़ को जीवित रखने का यह एक छोटा सा प्रयास किया गया। इसी के भाग स्वरुप मांडवी तालुका के पिपरिया गांव में तापी नदी के तट पर ग्रुप द्वारा एक घुड़दौड़ का आयोजन किया गया । प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए राज्य भर से घोड़ों मालिक मांडवी के पिपरिया पहुंचे। खासकर कच्छ का उड़ान नाम का घोड़ा, भरूच के वाघरा से प्रताप और शिवाजी, राजस्थान के बालोतरा का कविन नाम का घोड़ा आकर्षण का केंद्र बने।
मांडवी के पिपरिया में आयोजित घुड़दौड़ प्रतियोगिता में 100 से अधिक घोड़ों ने भाग लिया। इनमें दो तरह की प्रतियोगिताएं नानी रवाल और मोटी रवाल आयोजित की गईं। नानी रवाल प्रतियोगिता में घोड़े झुण्ड में 25 से 30 किमी की रफ्तार से दौड़ते हैं। जबकि मोटी रवाल में घोड़े 35 से 40 किमी की रफ्तार से दौड़ते हैं। जॉकी को बस लगाम पकड़कर बिना हिले-डुले घोड़े पर बैठना होता है। घोड़े के साथ-साथ निर्णायक भी घोड़े की चाल और उस पर बैठे जॉकी पर नजर रखते हैं।
पिपरिया, मांडवी में आयोजित इस घुड़दौड़ प्रतियोगिता में प्रथम, दूसरे व तीसरे क्रम के घोड़ों के विजेताओं को नगद पुरस्कार व ट्राफी देकर सम्मानित किया जाता है। साल में बमुश्किल एक बार आयोजित होने वाली ऐसी प्रतियोगिताओं ने भारत की संस्कृति को संरक्षित रखा है।