सूरत : जानिये डुमस के समुद्र तट पर कलेक्टर ने किस गतिविधि पर रोक लगा दी है!

सूरत : जानिये डुमस के समुद्र तट पर कलेक्टर ने किस गतिविधि पर रोक लगा दी है!

कलेक्टर के आदेश पर भूविज्ञान विभाग, जीपीसीबी व सिंचाई विभाग हरकत में आया

सूरत के डुमस में अवैध ड्रेजिंग समेत बालू खनन के खिलाफ कलेक्टर कार्यालय पर ग्रामीणों के मोर्चे के बाद जांच शुरू हुई थी। इसी क्रम में जिला कलेक्टर आयुष ओक ने सीआरजेड क्षेत्र में रेत खनन करने वाले मेसर्स एम. एम. इंफ्रा बिल्डकॉन, नवसारी को अगले 15 दिनों में एनओसी जमा करने का आदेश दिया है।

सीआरजेड क्षेत्र में चल रहे बालू खनन के मुद्दे पर ग्रामीणों की प्रस्तुति का दिखा असर

डुमस क्षेत्र के रेत कारोबारी ड्रेजिंग के नाम पर अंधाधुंध खनन कर तापी के तटों और पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। लेकिन यह जांच का विषय है कि अब तक बेरोकटोक चल रही इस अवैध गतिविधि पर सिस्टम का ध्यान क्यों नहीं गया। इस संबंध में एक पखवाड़े पूर्व तटीय क्षेत्र के पीड़ित ग्रामीणों ने मोर्चा निकाला और कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुति दी। ग्रामीणों के आक्रामक रुख के बाद कलेक्टर के संज्ञान में पूरी खुदाई की गतिविधि आ गयी।

बिना सीआरजेड की एनओसी के धड़ल्ले से हो रहा खनन

ग्रामीणों के बयान के बाद कलेक्टर ने तुरंत भूविज्ञान विभाग, गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सिंचाई विभाग के अधिकारियों को बुलाया। अधिकारियों को अपने दायरे में आने वाले सभी मामलों की गहनता से जांच करने का आदेश दिया। भूवैज्ञानिक विभाग की एक टीम मौके पर पहुंची और सीआरजेड क्षेत्र में मेमर्स एमएम इंफ्रा बिल्डकॉन (नवसारी) द्वारा जिस तरह से खनन किया जा रहा था, उसके लिए एनओसी मांगी। लेकिन उनके पास फिलहाल सीआरजेड एनओसी नहीं है और इसके लिए उन्हें 15 दिन का समय दिया है। 

15 दिन के अंदर एनओसी नहीं देने पर सरकार को रिपोर्ट दी जाएगी

जिला कलेक्टर आयुष ओक ने मीडिया को बताया कि ग्रामीणों की शिकायत मिलने के बाद भूविज्ञान विभाग को जांच सौंपी गई है। जांच के दौरान पता चला कि उनके पास बालू खनन का परमिट और रॉयल्टी का भुगतान है। लेकिन वे सीआरजेड की एनओसी नहीं दे सके। इसके लिए उन्हें 15 दिन का समय दिया गया है। यदि पंद्रह दिनों के भीतर एनओसी प्रस्तुत नहीं की जाती है, तो राज्य सरकार को रिपोर्ट की जाएगी।

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