सूरत : न्यू सिविल अस्पताल में ब्रेन डेड व्यक्ति के हाथों का दान, अब तक सिविल से कुल 16 अंगदान

सूरत : न्यू सिविल अस्पताल में ब्रेन डेड व्यक्ति के हाथों का दान, अब तक सिविल से कुल 16 अंगदान

पाटिल परिवार ने 56 वर्षीय ब्रेन डेड भास्कर पाटिल के दोनों हाथ मुंबई के ग्लोबल हॉस्पिटल को दान किए

अंगदान के आदर्श वाक्य पर खरा उतरते हुए सूरत शहर ने एक बार फिर अंगदान कर इंसानियत की महक बिखेरी है। शहर के नए सिविल अस्पताल में डॉक्टरों के सफल प्रयासों से अंगदान में बढ़ोतरी हुई है। सूरत के पाटिल परिवार ने आज सिविल में एक ब्रेन डेड रिश्तेदार का लीवर, दो किडनी और दो हाथ दान कर मानवता की अनूठी मिसाल पेश की है।  

ब्रेन डेड 56 वर्षीय भास्कर पाटिल के दोनों हाथ मुंबई के ग्लोबल अस्पताल को दान कर दिए गए। अंग दाता शहर कहे जाने वाले सूरत में एक और अंगदान ने अंगदान की मान्यता को और मजबूत कर दिया है। सूरत सिविल से यह दूसरे हाथ का अंगदान है, जबकि गुजरात से सातवां अंगदान हुआ है। इसके साथ ही सूरत सिविल से कुल 16 अंग दान किए गए हैं।

सूरत शहर के पांडेसरा इलाके के भक्तिनगर सोसायटी में रहने वाले भास्कर पाटिल मजदूरी कर अपना गुजारा करते थे। 2/2/2023 को जब भास्कर हमेशा की तरह पांडेसरा कड़िया नाका पर काम करने के लिए निकला, तो वह बेहोश हो गया और उसे तुरंत सोस्यो सर्कल के एक निजी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां से उसे आगे के इलाज के लिए न्यू सिविल अस्पताल रेफर कर दिया गया। 

सीटी स्कैन रिपोर्ट में ब्रेन हैमरेज पाया गया। काफी इलाज के बाद भी वह गंभीर रक्तस्राव से उबर नहीं सका। 8 फरवरी को सिविल न्यूरोफिजिशियन डॉ. परेश जंजमेरा और डॉ. केयूर प्रजापति ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया। चूंकि उनके परिवार में उनके भतीजे के अलावा कोई नहीं था। इसलिए सिविल आरएमओ डॉ. नीलेश काछडिया, डॉ. केतन नायक ने भतीजे को ऑर्गन डोनेशन की जानकारी दी। सोटो और नोटो की सहमति देकर उनकी गाइड लाइन के अनुसार अंगदान की प्रक्रिया की गई।

9 फरवरी को ब्रेन डेड भास्कर पाटिल के दोनों हाथ मुंबई ग्लोबल अस्पताल को दान कर दिए गए। उन्हें सूरत एयरपोर्ट से एयर एंबुलेंस से मुंबई लाया गया। जबकि लिवर और दो किडनी को अहमदाबाद के आईकेडीआरसी-इंस्टीट्यूट ऑफ किडनी डिजीज एंड रिसर्च सेंटर में ट्रांसप्लांट के लिए भेजा गया था।

इस अंगदान की सेवा में सूरत पुलिस द्वारा सिविल अस्पताल से सूरत एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया गया। सूरत के सिविल अधीक्षक डॉ. गणेश गोवेकर, आरएमओ डॉ. केतन नायक, एसओटीओ टीम, चिकित्सा अधिकारी, नर्सिंग स्टाफ, सुरक्षा कर्मचारी और स्वयंसेवकों ने अंगदान करने के लिए कड़ी मेहनत की।

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