सूरत : पांच साल के मासूम का पैर कटने की नौबत थी, डॉक्टरों ने का मुफ्त इलाज से नवजीवन दिया

सूरत : पांच साल के मासूम का पैर कटने की नौबत थी, डॉक्टरों ने का मुफ्त इलाज से नवजीवन दिया

बच्चे के पैर में करीब 7 सेंटीमीटर का ट्यूमर था बच्चे की आर्थिक स्थिति को देखते हुए रेडिएशन की प्रक्रिया नि:शुल्क की गई

महाराष्ट्र के नंदुबारा में रहने वाले पांच वर्षीय संतोष को कैंसर हो गया था और उसके माता-पिता तनाव में थे। डॉक्टरों ने कहा कि संतोष का पैर काटना पड़ेगा अपने बच्चे को दर्द में देखना माता-पिता के लिए सबसे दुःखदायी बात होती है। अगर किसी बच्चे का अंग काटना पड़े तो मानो माता-पिता का आसमान टूट गया हो। इसी तरह की भावना पांच वर्षीय संतोष (बदला हुआ नाम) के माता-पिता द्वारा साझा की गई थी। जब नासिक के डॉक्टरों ने कहा कि आपके बेटे का पैर काटना पड़ेगा, तो वे भविष्य की कल्पना से घबरा गए। संतोष की जांघ की हड्डी में कैंसर का ट्यूमर था। हालांकि, सूरत के डॉक्टरों ने माता-पिता की चिंता दूर की। उन्होंने नए तरीके से इस बच्चे के पैर को बचाया।

नई पद्धति से इलाज किया गया

इस नए तरीके का नाम है 'एक्स्ट्राकोर्पोरियल इरेडिएशन'। यह विधि विशेष रूप से बच्चों में हड्डी के कैंसर के इलाज के लिए प्रयोग की जाती है। यह विधि परिष्कृत सर्जरी और विकिरण का उपयोग करती है। संतोष को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां उनके दाहिने पैर से 10 सेंटीमीटर जांघ की हड्डी निकाली गई। जिसके बाद उसे रेडिएशन के लिए लायंस कैंसर डिटेक्शन सेंटर ट्रस्ट (एलसीडीसीटी) न्यू सिविल अस्पताल रेफर कर दिया गया। विकिरण प्रक्रिया के बाद हड्डी को पैर में फिर से लगाया गया।

विकिरण की एक उच्च खुराक दी गई थी

रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. नेहल पटेल ने कहा, इस प्रक्रिया में विकिरण रोगी के पैर के किसी अन्य हिस्से को प्रभावित नहीं करता था। इस प्रकार,बच्चे को कम खुराक वाली विकिरण की 30 सिटिंग से गुजरना पड़ता था, लेकिन इस प्रक्रिया के माध्यम से विकिरण की हड्डी तक एक उच्च खुराक दी जाती थी। ट्यूमर करीब 7 सेंटीमीटर का था लेकिन रेडिएशन के लिए 10 सेंटीमीटर हड्डी निकाली गई थी। हड्डी को निजी अस्पताल से स्टरलाइज्ड कंटेनर में न्यू सिविल अस्पताल ले जाया गया और 45 मिनट के रेडिएशन के बाद वापस निजी अस्पताल भेज दिया गया। बाद में इसे फिर से बच्चे के पैरों जोईन्ट कर दिया गया। 

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