दिल्ली : लड़के-लड़कियों की शादी की उम्र एक समान करने के लिए दायर की गई याचिका उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित

दिल्ली : लड़के-लड़कियों की शादी की उम्र एक समान करने के लिए दायर की गई याचिका उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित

सुप्रीम कोर्ट ने वकील और भारतीय जनता पार्टी के नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर एक याचिका में पुरुषों और महिलाओं के लिए विवाह की कानूनी उम्र को समान करने की मांग

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को यूनिफॉर्म मैरिज एज यानी लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए विवाह की एक समान न्यूनतम आयु की मांग वाली एक याचिका को उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता को बताया है कि 13 जनवरी, 2023 को सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न कानूनों में पुरुषों और महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु में एकरूपता से संबंधित मुख्य कार्यवाही को ट्रांसफर करने की मंजूरी दी है।

भारतीय जनता पार्टी के नेता अश्विनी उपाध्याय ने दाखिल की है याचिका

आपको बता दें कि याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के 13 जनवरी के उस आदेश के बारे में चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रह्मण्यम प्रसाद की बेंच को बताया, जिसके चलते मौजूदा याचिका को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया। साथ ही बेंच ने अपने रजिस्ट्री विभाग को मामले से संबंधित सभी दस्तावेजों को तुरंत सुप्रीम कोर्ट भेजने का निर्देश भी दिया। मामले की जानकारी दें तो सुप्रीम कोर्ट ने वकील और भारतीय जनता पार्टी के नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर एक याचिका को स्थानांतरित कर दिया। यह याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित थी, जिसमें पुरुषों और महिलाओं के लिए विवाह की कानूनी उम्र को समान करने की मांग की गई थी।

शादी के लिए न्यूनतम आयु सीमा "घोर भेदभावपूर्ण"

इस मामले में केंद्र ने पहले हाई कोर्ट को बताया था कि मातृत्व की उम्र में प्रवेश करने वाली लड़कियों की न्यूनतम उम्र के मुद्दे का अध्ययन करने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है। हाईकोर्ट ने इस याचिका पर केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया था। याचिका में कहा गया है कि लड़कियों की शादी के लिए 18 वर्ष की न्यूनतम आयु सीमा "घोर भेदभावपूर्ण" है। वादी के तौर पर उन्होंने कहा कि यह याचिका जनहित में अनुच्छेद 226 के तहत दायर की गई है और यह महिलाओं के खिलाफ खुलेआम चल रहे भेदभाव को चुनौती देती है।

समानता के अधिकार से जुड़ा है मामला

भारत में शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल है। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार से जुड़ा मामला है। इसमें ये भी बताया गया है कि दुनिया के 125 से अधिक देशों में लड़के और लड़की के लिए शादी की समान उम्र है। इसके अलावा याचिका में कहा गया है कि डिफरेंशियल बार महिलाओं के खिलाफ भेदभाव करता है और लैंगिक समानता, लैंगिक न्याय और महिलाओं की गरिमा के मौलिक सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। ये संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन करता है।