स्टडी : तेजी के साथ बढ़ रहा है प्रकाश प्रदुषण, कुछ सालों बाद नहीं दिखेंगे टिमटिमाते तारे

स्टडी : तेजी के साथ बढ़ रहा है प्रकाश प्रदुषण, कुछ सालों बाद नहीं दिखेंगे टिमटिमाते तारे

वर्ष 2011 से 2022 के बीच रात के आकाश की चमक में 7 से 10 प्रतिशत की कमी आई है

रात में सर के उपर टिमटिमाते तारों को देखना एक अलग ही अनुभूति प्रदान करता है। लेकिन इससे जुडी एक चौंकाने वाली बुरी खबर सामने आई है। ऐसा कहा जा रहा है कि कुछ वर्षों के बाद रात का आकाश हमें दिखाई देना बंद हो जाएगा। वर्ष 2011 से 2022 के बीच रात के आकाश की चमक में 7 से 10 प्रतिशत की कमी आई है। भूमि को रोशन करने वाला मानव निर्मित प्रकाश आकाश और उसके प्रकाश को मंद कर रहा है। यह खुलासा पूरी दुनिया में हुई एक स्टडी से हुआ है।

गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है प्रकाश प्रदुषण

आपको बता दें कि रात का आकाश धीरे-धीरे अपनी सुंदरता खो रहा है। यह प्रकाश प्रदूषण के कारण है। पूरी दुनिया को रोशन करने की हड़बड़ी में हम अपना आसमान खो देंगे। क्योंकि बढ़ते प्रकाश प्रदूषण के कारण हमारी आँखों और वातावरण के बीच प्रकाश का परावर्तन बहुत अधिक होता जा रहा है। इसलिए हमारी आंखें आकाश को धुंधला देखती हैं। इसी कारण तारे दिखाई नहीं पड़ते। आकाश में तारे दिखना दिन-ब-दिन कम और कम होता जा रहा है।

इन देशों में हुआ शोध

इस मामले के अध्ययन के लिए उत्तरी अमेरिका, यूरोप, एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका को चुना गया था। दुनिया भर के 19 हजार स्थानों के 29 हजार लोगों से पूछा गया कि क्या उन्हें रात में आसमान साफ ​​दिखाई देता है या नहीं। पिछले एक दशक में क्या फर्क पड़ा है। तो दुनिया भर के नागरिक वैज्ञानिकों ने इसका जवाब भेजा। जिसके बाद प्रकाश प्रदूषण की यह रिपोर्ट की गई। जिसमें बताया गया है कि पिछले एक दशक में पृथ्वी पर प्रकाश प्रदूषण बहुत बढ़ गया है। इससे रात के आसमान में साफ दृश्यता 7 से 10 फीसदी तक कम हो गई है।

जहां प्रदूषण कम होता है वहां तारे ज्यादा दिखाई देते हैं

वर्तमान स्थिति यह है कि यदि आप कम प्रदूषण वाले स्थान पर जाते हैं तो आपको आसमान में बहुत सारे तारे दिखाई देते हैं, लेकिन जैसे-जैसे आप किसी शहर में जाते हैं, ये कम होते जाते हैं। वास्तव में वे घटते नहीं हैं। वायु और प्रकाश प्रदूषण के कारण आप कम देखते हैं। मानव निर्मित प्रकाश के कारण पृथ्वी पर प्रकाश का प्रतिबिम्ब इतना अधिक होता है कि हमारी आँखों का मंद पड़ना या आकाश के तारों को न देखना स्वाभाविक है।

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