गुजरात : यहां जहरीले सांपों से निकाला जाता है जहर, सर्पदंश के मरीजों के लिये संजीवनी

गुजरात : यहां जहरीले सांपों से निकाला जाता है जहर, सर्पदंश के मरीजों के लिये संजीवनी

गुजरात सरकार ने धरमपुर में 10 करोड़ की लागत पर स्थायी केंद्र शुरु करने ग्रांट मंजूर की

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में साल भर में सर्पदंश के कारण 1.38 लाख लोगों की मौत हो जाती है। अपने भारत में भी कई लोग सर्पदंश के शिकार होते हैं। इन्हीं मौतों को रोकने के शुभ आशय से गुजरात सरकार ने वलसाड जिले के धरमपुर के मालनपाडा गांव में 10 करोड़ रुपये की लागत पर विश्व स्तरीय सर्प संशोधन केंद्र शुरु किया जायेगा।

वलसाड जिले में बारिश के दिनों में सर्पदंश के कई मामले सामने आते हैं

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वलसाड जिले के धरमपुर और कपराडा तहसील में बारिश की मौसम में सर्वाधिक सर्पदंश के मामले सामने आते हैं और कई लोगों की मौत हो जाती है। इसी के मद्देनजर सर्पदंश के विशेषज्ञ डॉ. धीरूभाई सी पटेल ने सर्पदंश के मरीजों की चिकित्सा एक सेवाकार्य के रूप में शुरु की थी। 

गुजरात सरकार ने की पहल, 10 करोड़ की ग्रांट मंजूर की

गुजरात सरकार ने इसका संज्ञान लिया और आज भी इन्हें एन्टीवेनम इंजेक्शन निःशुल्क उपलब्ध करा रही है। अब रिजियन स्पेसिफिक एन्टीविनम इंजेक्शन का उत्पादन किया जा सके इसके लिये राज्य सरकार ने पहल करते हुए 2020 में 10 करोड़ रुपये की ग्रांट जारी की है। इस धन राशि के उपयोग से धरमपुर के मालनपाडा में वन विभाग के पंचवटी मकान में अस्थायी रुप से चल रहे केंद्र को सांपों के संवर्धन के लिये विश्व स्तरीय सर्प संशोधन केंद्र में तब्दिल करना है। यहां अत्यंत जहरीले माने जाने वाले 3000 सांपों को रखने की मंजूरी प्रदान की गई है। 

जहरीले सांपों का संवर्धन कर उनसे जहर निकाल कर पाउडर बनाया जाता है

निसंदेह आने वाले दिनों में ये स्पेक रिसर्च इंस्टीट्यूट न केवल भारत अपितु समग्र दुनिया के लिये उपयोग सिद्ध होगा। विभिन्न राज्यों में पाये जाने वाले सर्पदंश के मामलों में अलग-अलग प्रकार के जहर देखने को मिलते हैं। इस संबंध में डॉ. धीरुभाई पटेल कहते हैं कि गुजरात में रसेल वाइपर सांप ने किसी व्यक्ति को काटा हो और दूसरी ओर उत्तरप्रदेश या पंजाब में इसी जाति के सांप ने किसी को काटा हो तो दोनों ही मामलों में पीड़ित व्यक्ति में जहर में विविधता देखने को मिलती है। इसीलिये विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन के अनुसार रिजियन स्पेसिफिक एन्टिवेनम इंजेक्शन बनाये जायेंगे। इसके लिये गुजरात और पड़ौस के महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश राज्यों से अत्यंत जहरीले सांपों को केंद्र में लाकर उनका संवर्धन किया जायेगा। उसके बाद उनका जहर निकाल कर विशेष प्रक्रिया के माध्यम से लाइओफिलाइज्ड पाउडर तैयार करके सर्प जहर विरोधी दवाई बनाने वाली विभिन्न कंपनियों को दिया जायेगा। उसमें से बने इंजेक्शन सरकार निर्धारित नियमों के अनुसार अस्पतालों में मरीजों के लिये आवंटित करेगी। 

सांपों से निकलने  वाले जहर की मात्रा भी अलग

किस सांप से कितना जहर निकाला जाता है इस संदर्भ में डॉ. पटेल ने बताया कि कोब्रा में से सप्ताह में एक बार में 250 से 300 मिलीग्राम, कोमन क्रेट में से पखड़े में एक बार में 0.026 मिलीग्राम, रसेल वाइपर में से महीने में तीन बार में 150 से 160 मिलीग्राम और सो स्केल वाइपर में से पखवाड़े में एक बार में 0.0026 मिलीग्राम जहर निकाल जायेगा। स्थानीय सांइनाथ होस्पीटल में ही पिछले साल 1200 सर्पदंश के मामले दर्ज हुए थे। कई मामलों में एक मरीज को ही 15 से 45 इंजेक्शन देने पड़ जाते हैं जिससे प्रति वर्ष 3 हजार इंजेक्शन की आवश्यकता रहती है। 

इस संस्थान को चाहिये और ढेर सारे सांप

आपको जानकार आश्चर्य होगा कि मालनपाडा संशोधन केंद्र में फिलहाल 86 प्रजातियों के अत्यंत जहरीले सांप हैं जिनमें 24 कोब्रा (नाग), 33 रसेल वाइपर, 25 कोमन क्रेट और 4 सो स्केल्ड वाइपर। एन्टीवेनम बनाने के लिये कुल 580 सांपों की आवश्यकता है। इसके अनुसार 60 कोब्रा, 120 रसेल वाइपर, 160 कोमन क्रेट और 240 सो स्केल्ड वाइपर की आवश्यकता इस केंद्र को है। इसके लिये प्रदेश के अलग-अलग जिलों से सांप एकत्रित करने की मंजूरी मांगी गई है। सबसे पहले प्रदेश के तटीय इलाकों के 8 जिलों से सांप एकत्रित किये जायेंगे।

आपको बता दें कि फिलहाल गुजरात में सर्पदंश विरोधी इंजेक्शन बाहर से मंगवाये जाते रहे हैं। अब इस केंद्र में तैयार पाउडर से बने इंजेक्शन सुलभ होंगे। गौरतलब है कि भारत में धरमपुर स्थित यह केंद्र विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइंस अनुसार बना एक मात्र संस्थान है।