सूरत : नायलॉन कारोबारियों ने व्यापार के हालातों पर की दिमागी मशक्कत, जानें क्या फैसले लिए हैं

सूरत : नायलॉन कारोबारियों ने व्यापार के हालातों पर की दिमागी मशक्कत, जानें क्या फैसले लिए हैं

नायलॉन उत्पादन के सामने मांग आधी रह गई है, उत्पादन कटौती के अलावा कारोबारियों को और कोई चारा नहीं दिख रहा

लंबे समय से महंगाई की मार झेल रहा सूरत का कपड़ा उद्योग आर्थिक संकट से जूझ रहा है। कपड़े की बिक्री घटने से बाजार में पैसे का सर्कुलेशन कम हो गया है, जिससे व्यापारियों, निर्माताओं और उद्योगपतियों को अपना रूटीन काम करना मुश्किल हो गया है। सबसे ज्यादा परेशानी प्रोड्यूसर्स को हो रही है। नतीजतन, सूरत में नायलोन का कपड़ा बनाने वाले बुनकरों ने बेहद चौंकाने वाला फैसला लिया है।

शनिवार-रविवार या एक पाली में उत्पादन में कटौती का निर्णय 

सूरत के वेड रोड नायलॉन वीवर्स एसोसिएशन के सदस्यों की एक महत्वपूर्ण बैठक 6 जनवरी 2023 को "नायलॉन प्रोडक्शन कट" पर आगे की रणनीति बनाने के लिए आयोजित की गई थी। जिसमें उत्पादन में कटौती के नफा-नुकसान पर विशेष चर्चा हुई। अंत में चर्चा के सारांश के रूप में, एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया और शनिवार-रविवार या एक पाली चलाकर उत्पादन में कटौती करने का निर्णय लिया गया।

उत्पादन कटौती नहीं की तो बहुत बड़ी समस्या हो सकती है

वास्कोफ के उपाध्यक्ष भूपेंद्रभाई चाहवाला ने मिडिया से कहा कि वर्तमान में सूरत में नायलॉन का मासिक उत्पादन करीब पांच से छह करोड़ मीटर है। लेकिन इसके मुकाबले मांग 50 फीसदी ही है। जिससे उत्पादन और आपूर्ति का संतुलन बिगड़ गया है। बुनकरों को उत्पादन में कटौती के अलावा इस स्थिति को संतुलित करने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। ऐसा करने से कारीगर के गांव जाने, किराए के कारखानों पर प्रभाव, बैंक ऋण की किस्तों पर प्रभाव जैसे मुद्दे उठ सकते हैं, लेकिन इन मुद्दों के खिलाफ नुकसान में माल बेचना असामान्य है। जो लंबे समय में कर्ज की ओर ले जायेगा और कारखाना बेचने की नौबत आ सकती है। जब तक बुनकर इन विकट परिस्थितियों से बाहर नहीं आ जाते, तब तक उत्पादन में कटौती जरूरी है। इसके अलावा इस बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि बुनकर माल की कीमत खुद तय करेंगे तो ही उन्हें सही कीमत मिलेगी। अगर सामान उचित दाम पर बिक जाए तो हम हर समस्या से तभी बाहर निकल सकते हैं ।