सूरत :   दो साल के बाद मल्टीप्लेक्स कारोबार पटरी पर, सुप्रीम कोर्ट का फैसला सराहनीय : चंद्रविजय गाबा

सूरत :   दो साल के बाद मल्टीप्लेक्स कारोबार पटरी पर, सुप्रीम कोर्ट का फैसला सराहनीय : चंद्रविजय गाबा

कोरोना कॉल में सभी उद्योग व्यापार बंद रहे, लेकिन सभी उद्योगों में सबसे अधिक प्रभावित मल्टीप्लेक्स यानी सिनेमाघर एवं होटल-रेस्टोरेंट रहे थे

सूरत के वराछा क्षेत्र के सारोली स्थित राज इम्पीरीयल मल्टीप्लेक्स के मैनेजिंग डायरेक्टर चंद्र विजय राजकुमार गाबा बताते हैं कि कोरोना कॉल में सभी उद्योग व्यापार बंद रहे, लेकिन सभी उद्योगों में सबसे अधिक प्रभावित मल्टीप्लेक्स यानी सिनेमाघर एवं होटल-रेस्टोरेंट रहे। कोविड-19 महामारी के लॉकडाउन के 3 से 4 महीने के बाद तकरीबन सभी उद्योग व्यापार कुछ हद तक चलने लगे, परंतु मल्टीप्लेक्स कारोबार तकरीबन डेढ़ साल तक बंद रहा। इस दरम्यान बीच-बीच में कभी 50 प्रतिशत तो कभी 75 प्रतिशत क्षमता के साथ मल्टीप्लेक्स चालू किये गये। मल्टीप्लेक्स का कारोबार नाइट में सबसे अधिक होता है। यही कारण है कि कोविड के बाद नाइट कर्फ्यू जारी रहने से यह उद्योग लंबे समय तक प्रभावित रहा। 

जिस फिल्म का कन्टेंट अच्छा था वह बहुत अच्छी चलीं और रिकॉर्ड भी बनाये

चंद्र विजय राजकुमार गाबा बताते हैं कि कोरोना काल के बाद जो अच्छी फिल्मे नहीं थी वही नहीं चलीं, जबकि जिस फिल्म का कन्टेंट अच्छा था वह बहुत अच्छी चलीं और रिकॉर्ड भी बनाये। इनमें आरआरआर एवं केजीएफ का समावेश है। इन फिल्मों ने कोरोना के पहले के भी रिकार्ड तोड़ दिये। आज मल्टीप्लेक्स कारोबार कोरोना से पूर्व की स्थिति में आ गया है यानि कारोबार पटरी पर है और निरंतर वृद्धि कर रहा है। 

सुप्रीम कोर्ट का फैसला सराहनीय है और कारोबारियों को प्रेरित करता रहेगा

हाल में मल्टीप्लेक्स में बाहर के खाद्य पदार्थ न ले जाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चंद्र विजयभाई कहते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला भले ही हमारे उद्योग को ध्यान में रखते हुए दिया गया है, लेकिन यह आदेश अन्य उद्योगों के लिए कारगर साबित होगा।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए चंद्र विजय बताते हैं कि मल्टीप्लेक्स में बड़ा पूंजी निवेश होता है और साथ ही इसके साथ जुड़े खाने-पीने सहित अन्य व्यवसाय भी होते हैं। इसलिए बाहर के खाद्य पपदार्थ लाने का हम लोग विरोध करते थे। इसको लेकर ग्राहकों से तकरार भी होती थी। हालांकि सभी मल्टीप्लेक्स-थिएटरों में पेयजल की सुविधा रहती ही है। साथ ही बच्चों के पानी-दूध सहित पेय पदार्थ हम लोग ले जाने देते थे, लेकिन बाहर के खाद्य पदार्थों का विरोध अवश्य करते थे। चंद्र विजय कहते हैं कि कोई होटल में बाहर से चपाती (रोटी) लेकर जाये और कहे कि हमें सिर्फ सब्जी दे दो तो होटल व्यवसाय का क्या होगा। किसी भी व्यापार में हस्तक्षेप यानी रुकावट ठीक नहीं होती। सुप्रीम कोर्ट का फैसला सराहनीय है और कारोबारियों को प्रेरित करता रहेगा।