सुप्रीम कोर्ट की दो टूक : किसी भी सूरत में सार्वजनिक नहीं होनी चाहिए सेक्स वर्कर और उनके ग्राहकों की पहचान!

सुप्रीम कोर्ट की दो टूक : किसी भी सूरत में सार्वजनिक नहीं होनी चाहिए सेक्स वर्कर और उनके ग्राहकों की पहचान!

कहा - मीडिया पर सख्ती से लागू हो धारा 354-सी

सुप्रीम कोर्ट ने सेक्स वर्कर और उसके ग्राहकों की पहचान मीडिया में उजागर नहीं होने देने के संबंध में दायर याचिका में निर्देश दिया है कि सेक्स वर्कर और उसके ग्राहक की गिरफ्तारी, बचाव या फिर कार्रवाई के संबंध में अत्यधिक सावधानी बरती जाए ताकि सार्वजनिक रूप से उनकी पहचान का खुलासा न हो पाए।

किसी भी सूरत में सार्वजनिक नहीं होनी चाहिए पहचान

आपको बता दें कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा प्रेस और मीडिया कवरेज के लिए हाल ही में जारी व्यापक दिशा-निर्देश में भी इस विषय को स्पष्ट रूप से बताते हुए लिखा गया है कि मीडिया को गिरफ्तारी, छापे और रेस्क्यू ऑपरेशनों के दौरान यौनकर्मियों की पहचान का खुलासा न हो इसके लिए अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए। फिर भले ही चाहे वो पीड़ित या अभियुक्त हो। इतना ही नहीं, ऐसी किसी भी तस्वीर को प्रकाशित या प्रसारित करने की अनुमति नहीं है जो ग्राहक या सेक्स वर्कर की पहचान को प्रकट करती है।

 

धारा 354-सी का सख्ती से हो पालन

साथ ही, भारतीय संविधान में संशोधन के बाद लागू की गई आईपीसी धारा 354-सी, जो ताक-झांक को एक आपराधिक अपराध बनाती है, को मीडिया द्वारा सख्ती से लागू करने का आदेश दिया गया है। ऐसा इसलिए किया गया ताकि रेस्क्यू ऑपरेशनों को कवर करने की आड़ में यौनकर्मियों की उनके ग्राहकों के साथ तस्वीरें प्रकाशित या प्रसारित न हों।

क्या है धारा-354-सी (दृश्यरतिकता/वोयेरिशम)

आपको बता दें कि किसी महिला की इजाजत के बिना तस्वीरें खींचने और वायरल करने पर इस धारा के अंतर्गत सजा का प्रावधान है। IPC की धारा 354C में इस अपराध को लेकर सजा का प्रावधान है। इसमें कहा गया है कि अगर कोई महिला कोई ऐसा काम कर रही है जो निजी हो, उस समय उसको देखना अपराध की श्रेणी में आता है। विस्तार से बताएं तो  जब कोई महिला कोई ऐसा काम करे जो आमतौर पर वो सार्वजनिक जगहों पर नहीं कर सकती और ठीक इसी समय कोई व्यक्ति उस महिला की फोटो खींच ले तो ये एक दंडनीय अपराध होगा। उसे दोषी माना जाएगा और 354C IPC के अंतर्गत सजा दी जाएगी। अगर आरोपी धारा 354C के अंतर्गत पहली बार दोषी पाया जाता है तो उसे कम से कम 3 साल की सजा हो सकती है इसके अलावा उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।