उत्तराखंड : जोशीमठ के कई घरों में दरार, लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश में भटक रहे!

उत्तराखंड : जोशीमठ के कई घरों में दरार, लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश में भटक रहे!

उत्तराखंड के चमोली के जोशीमठ के लोकल बाशिंदे तनाव में जी रहे हैं। लोगों के तनाव का कारण यह है कि यहां जमीन धंसने के कारण कई घरों में दरारें आ गई हैं। स्थानीय अपने घरों को खाली कर सुरक्षित स्थानों की तलाश में भटक रहे हैं। एक स्थानीय ने मीडिया को बताया कि दरारों से कई लोग घर खाली करके चले गए हैं। सरकार तत्काल समाधान निकाले। हम घरों के बाहर रहने को मजबूर हैं। 

म्युनिसिपल अध्यक्ष शेलेन्द्र पवार ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पिछले साल भी बारिश न होने के बाद भी मकान जमीन में समा रहे थे। नगर का करीब 70% हिस्सा इसकी चपेट में है। करीब 574 मकान इससे प्रभावित हुए हैं जिसमें 3000 लोग निवास करते हैं। हमने सरकार से मांग रखी है और आज एक जनवरी को मुख्यमंत्री से मुलाकात तय की गई है। 

जोशीमठ के बाशिंदों के लिये स्थिति कितनी सकट भरी है इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोगों कहते हैं रात में जो दरार हल्की दिखाई देती है, वो सुबह तक यानि 12 घंटे बाद हाथ डालने जितनी चौड़ी हो जाती है। जमीन धंसने का ये सिलसिला दिनों-दिन बढ़ता चला जा रहा है। 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वाडिया इंस्टीट्यूट की वैज्ञानिक डॉ. स्वप्नमिता ने अपने शोध में पाया है कि जोशीमठ की इस बदहाली के लिये खराब ड्रेनेज और सिवेज सिस्टम कारणभूत है। इस कारण से शहर में बारिश का पानी अलकनंदा नदी में न जाकर जमीन के भीतर रिस रहा है, जिससे जमीन धंस रही है। 

दूसरी ओर ‘जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति’ का कहना है कि तपोवन-विष्‍णुगाड पावर प्रोजेक्ट की सुरंग जोशीमठ के नीचे से गुजर रही है और यही शहर के धंसाव का कारण है। हेलंग-विष्‍णुप्रयाग बाइपास के नाम पर जोशीमठ की जड़ को खोदने का काम शुरु कर दिया गया है। नगर की इस समस्या के मद्देनजर स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन स्वरुप 24 दिसंबर को बाजार भी बंद रखे। देखना होगा, इस हिमालयी नगरी के भविष्य को लेकर प्रशासन क्या सुरक्षात्मक कदम उठाता है और लोगों को राहत पहुंचाने के लिये क्या कदम उठाये जाते हैं।