सूरत : पिछले 5 दिनों से कड़ाके की ठंड के चलते शहर के तिब्बती बाजार में बिकने वाले गर्म कपड़ों मांग बढ़ गई

सूरत : पिछले 5 दिनों से कड़ाके की ठंड के चलते शहर के तिब्बती बाजार में बिकने वाले गर्म कपड़ों मांग बढ़ गई

हर साल गर्म कपड़ों के कारोबार के लिये सूरत आते हैं तिब्बती परिवार

सूरत में मक्काइपुल के पीछे रंग उपवन के बाहर 1985 से तिब्बती बाजार भरता चला आया है और हर साल सूरतवासी यहां से गर्म कपड़े खरीदते हैं। इस साल सर्दी का मौसम देर से शुरू होने के कारण खपत में अंतर आया है। लेकिन पिछले चार-पांच दिनों से ठंड का प्रकोप बढ़ गया है और ऐसे में इस बाजार में लोगों के पहुंचने से गर्म कपड़ों मांग भी बढ़ गई है। 

ठंड बढ़ने से तिब्बजी बाजार में ग्राहकी निकली

सर्दी का मौसम शुरू होते ही लोग गर्म कपड़े खरीदने के लिए अलग-अलग बाजारों में जाना पसंद करते हैं। पिछले 37 सालों से तिब्बती व्यापारी शहर के तिब्बती बाजार में गर्म कपड़ों का कारोबार करने आते रहे हैं। लोग यहां खरीदारी करना पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें नवीनतम किस्म के गर्म कपड़े मिल सकते हैं और तिब्बती बाजार में कीमतें भी किफायती हैं। हालांकि, इस साल सर्दियों की शुरुआत देर से होने के कारण शुरुआती दिनों में यह बाजार शांत था। लेकिन पिछले 4-5 दिनों में ठंड बढ़ने के साथ तिब्बती बाजार में ग्राहकी निकल पड़ी है। 

हर साल सूरत आते हैं ये तिब्बती

रोजगार के लिए सूरत आने वाले ये तिब्बती परिवार 4 महीने सूरत में रहते हैं और बाद में अपने गृहनगर लौट जाते हैं और खेती करते हैं। बता दें कि तिब्बती बाजार में मॉल में महंगे गर्म कपड़ों के मुकाबले टोपी, मफलर, ग्लव्स जैसी चीजें 100 रुपए से शुरू हो जाती हैं। जबकि जैकेट, स्वेटर जैसे कपड़े यहां 1000 से 2000 रुपए तक बिकते हैं।

जानिये क्या कहना है तिब्बती एसोसिएशन के अध्यक्ष का

इस बारे में तिब्बती एसोसिएशन के अध्यक्ष थाइपेन गेलेक ने कहा कि हर साल की तरह इस साल भी 52 फैमिली स्टॉल लगाए गए हैं और गर्म कपड़ों में भी वैरायटी है। दीपावली के समय में भी ग्राहकी देखने को मिलती है क्योंकि उस समय लोग दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए निकलते हैं। हालांकि बाद में माहौल शांत हो जाता है लेकिन जब ठंड शुरू होती है तो लोग खरीदारी करने अधिक आते हैं। चार-पांच दिन पहले से ही बढ़ती ठंड को देखते हुए लोगों ने खरीदारी शुरू कर दी है। आशा है व्यापार भी अच्छा चलेगा। इसके अलावा, हम आम तौर पर अपना भोजन स्वंय पकाते हैं लेकिन कभी-कभी हम लोग भी विशेष गुजराती थाली खाने के लिए जाते हैं।

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