सूरत : हँस-हँस कर किया गया पाप कर्म रो-रो कर भोगना पड़ता है  : मनुश्री महाराज 

सूरत : हँस-हँस कर किया गया पाप कर्म रो-रो कर भोगना पड़ता है  : मनुश्री महाराज 

जिस भोज्य पदार्थ का भगवान को भोग नहीं लगा सकते वह आहार नहीं लेना चाहिए

मलमास के पावन उपलक्ष्य में ओपन ग्राउंड कृष्ण हेरीटेज के सामने अंबिका टाउनशिप के पास डिंडोली सूरत में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस व्यासपीठ से  राष्ट्रीय कथाकार  मनुश्री जी महाराज (रतनगढ़ वाले) ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा तारणहार है जो जीव श्रीमद्भागवत की शरण में आता है श्रीमद् भागवत कथा  उसको समस्त आनंद प्रदान करती है। क्योंकि श्रीमद् भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है, जो जीव की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है।  इसलिए हर जीव को श्रीमद् भागवत कथा श्रवण अवश्य करना चाहिए। 

जो भी आप कर्म करते हैं उसका परिणाम अपने पास ही लौटकर आता है

महाराज श्री ने बताया कि जो भी आप कर्म करते हैं उसका परिणाम अपने पास ही लौटकर आता है। हँस-हँस कर किया हुआ पाप कर्म रो-रो कर भोगना पड़ता है। इसलिए पाप कर्म से हमेशा बचना चाहिए। रामचरित मानस की चौपाई... परहित सरिस धरम नहिं भाई, पर पीड़ा सम नहिं अधमाई... का वर्णन करते हुए महाराजजी ने कहा कि परोपकार से बढ़कर कोई उत्तम कर्म नहीं और दूसरों को कष्ट देने से बढ़कर कोई पाप (नीच) कर्म नहीं। परोपकार की भावना ही वास्तव में मनुष्य को ‘मनुष्य’ बनाती है। कभी किसी भूखे व्यक्ति को खाना खिलाते समय चेहरे पर व्याप्त सन्तुष्टि के भाव से जिस असीम 
आनन्द की प्राप्ति होती है, वह अवर्णनीय है। किसी वास्तविक अभावग्रस्त व्यक्ति की नि:स्वार्थ भाव से अभाव की पूर्ति करने के बाद जो सन्तुष्टि प्राप्त होती है, बह अकथनीय है। परोपकार से मानव के व्यक्तित्व का विकास होता है। 

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श्रीमद् भागवत कथा में उमड़े श्रद्धालु भक्त

 

श्रीमद् भागवत कथा में 18000 श्लोक है

महाराजजी ने शुद्ध आहार के बारे में बताते हुए कहा कि जिस भोज्य पदार्थ का हम भगवान को भोग नहीं लगा सकते उस आहार को ग्रहण नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा में 18000 श्लोक है 335 अध्याय एवं 12 स्कंध है। राजा परीक्षित को शुकदेवजी ने 7 दिन में श्रीमद् भागवत कथा सुनाकर श्राप मुक्त किया। जब राजा परीक्षित को श्राप लगा तब राजा परीक्षित ने गंगा के तट पर आसन लगा दिया और कहा कि जिसकी मृत्यु सन्निकट आ जाए उसको क्या करना चाहिए। तब सहसा शुकदेव जी महाराज आकर उस आसन पर विराजमान हो गए एवं श्रीमद् भागवत कथा सुनाना 
प्रारंभ किया। श्रीमद् भागवत कथा समय प्रतिदिन दोपहर 1:00 से 4:00 बजे तक है। साथ ही रात्रि को 8:00 बजे से 10:00 बजे तक नानी बाई के मायरे का वाचन पूज्य महाराज श्री कर रहे हैं। कथा में बड़ी संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे। 

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