वडोदरा : 67 वर्षीय देशभक्त का अनोखा अभियान, चार लाख से अधिक लोगों को राष्ट्रीय ध्वज फहराना सिखाया

वडोदरा : 67 वर्षीय देशभक्त का अनोखा अभियान, चार लाख से अधिक लोगों को राष्ट्रीय ध्वज फहराना सिखाया

सरदार भवन के निदेशक हरेंद्र सिंह पिछले 58 वर्षों से स्कूलों और संस्थानों में लोगों को राष्ट्रगान गाना सिखा रहे हैं

वडोदरा का एक देशभक्त पिछले 58 वर्षों से लोगों को राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान की सही प्रणाली के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान चला रहा है, जो देश के सम्मान का प्रतीक है। इस 58 साल की लंबी अवधि के दौरान चार लाख से अधिक लोगों को राष्ट्रीय ध्वज कैसे ठीक से फहराया जाए? राष्ट्रगान कैसे गाया जाता है? इसका प्रशिक्षण दिया गया है।
वात करजन तालुका के सगडोल गांव के 67 वर्षीय हरेंद्रसिंह दायमा की है। जो युवाकाल से ही देशभक्ति के रंगों से रंगे हुए है। 1974 में उन्होंने अखबारों में राष्ट्रीय ध्वज कैसे फहरायें? इसके बारे में खबर पढ़ी और यहां सरदार भवन में प्रशिक्षण के लिए आए। सरदार भवन में उन्होंने रमनभाई राणा से इस मामले में कुछ घंटे की ट्रेनिंग ली। तभी से उन्होंने लोगों को ट्रेनिंग देना शुरू किया। इस बीच, उन्होंने महाराज सयाजीराव विश्वविद्यालय में नाट्यशास्त्र की पढ़ाई भी पूरी की।
वर्तमान में सरदार भवन के निदेशक के रूप में कार्यरत हरेंद्रसिंह दयामा कहते हैं, हम छात्रों को किसी शैक्षणिक या सामाजिक संस्थान में प्रशिक्षित करने का काम करते हैं। संगठन के आमंत्रण पर हम उस संगठन में जाते हैं और छात्रों को महत्वपूर्ण बातें सिखाते हैं जैसे राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के लिए कैसे मोड़ना है, डंडे को कैसे बांधना है, गैर-सरकारी संगठनों में ध्वजारोहण कार्यक्रम कैसे आयोजित करना है, राष्ट्रगान कैसे गाया जाता है। ध्वज वंदन करने के लिए सूत के धागे का उपयोग किया जाना चाहिए। बर्फीले क्षेत्रों में छोटी कड़ियों वाली जंजीरों का उपयोग किया जाता है।
उनका कहना है कि आमतौर पर लोग राष्ट्रगान को गाते समय उसके शब्दों का सही उच्चारण नहीं करते हैं। उदाहरण के लिए सिन्धु के स्थान पर सिन्ध, उत्कल के स्थान पर उच्छल, बंग के स्थान पर बंगा, तरंग के स्थान पर तरंगा और गाहे के स्थान पर गाये गाए जाते हैं। हम छात्रों को शब्दों के सही उच्चारण के साथ 52 (बावन) सेकंड में गाना सिखाते हैं।
यह अभियान सरदार भवन द्वारा राष्ट्रीय प्रशिक्षण के तहत चलाया जा रहा है। यह अभियान केवल गुजरात तक ही सीमित नहीं है बल्कि असम के दुर्गम क्षेत्रों में भी शिविरों की शिक्षा दी गई है। इसके अलावा श्री दयामा पिछले 50 वर्षों से वसंत-रजब सांप्रदायिक एकता भाषण प्रतियोगिता का आयोजन करते आ रहे हैं। 
Tags: 0

Related Posts