कमाल का है गुजरात का य़ह 16 वर्षीय क्रिकेटर, गेंदबाजी ऐसी कि सब चकित रह जाएं

कमाल का है गुजरात का य़ह 16 वर्षीय क्रिकेटर, गेंदबाजी ऐसी कि सब चकित रह जाएं

बड़ौदा क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) में क्रिकेट खेलने वाले एकमात्र मूक-बधिर क्रिकेटर कृष के गेंदबाजी के हैं लोग

इस देश में क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं है बल्कि खेल से बढ़कर बहुत कुछ है। इस देश में हर बच्चा किसी न किसी उम्र में क्रिकेट खेलने और उसे करियर बनाने के बारे में जरुर सोचता है। बहुत से लड़के अपने सपनों को पूरा करने के लिए जी-जान से मेहनत करते है। कुछ लोग आर्थिक और अन्य समस्याओं से जूझते हुए भी इस सपने को पुकरा करने में लगे रहते है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है गुजरात के वड़ोदरा से। यहाँ एक 16 साल का बच्चा गजब की गेंदबाजी करने के लिए जाना जाता है पर ये बच्चा अन्य बच्चों जैसा नहीं है। ये बच्चा बोलने या सुनने में सक्षम नहीं है पर जब भी उसे गेंद थमाई जाती है तो 16 साल के कृष प्रजापति पर सभी की निगाहें जम जाती हैं। वह गेंदबाजी लाइन तक चलता है तो कप्तान अपने हाथ के इशारों से उसे समझाता है और फिर वो लड़का गजब की गेंदबाजी करके सबको चकित कर देता है। उसकी गेंदबाजी पर उसके साथी पर जमकर तालियां बजाते हैं।
बड़ौदा क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) में क्रिकेट खेलने वाले एकमात्र मूक-बधिर क्रिकेटर कृष ने समाचार एजेंसी टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बात करे हुए कहा, "मैं यह नहीं बता सकता कि मैं सामान्य लड़कों के साथ प्रतिस्पर्धी क्रिकेट खेलने के लिए कितना रोमांचित हूं। मैं बस अपने खेल और अपना सर्वश्रेष्ठ देने पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करता हूं।" कृष ने सांकेतिक भाषा में समझाया, "जब मैं पिछले साल एसोसिएशन में शामिल हुआ, तो अन्य खिलाड़ियों के साथ संवाद करना और उनके निर्देशों को समझना थोड़ा कठिन था। लेकिन अब, हम एक-दूसरे को अच्छी तरह समझते हैं।" 
पाटन में पैदा हुए हरफनमौला खिलाड़ी के पिता मनीष प्रजापति को जब अपने बेटे के क्रिकेट की क्षमता और उनके बेटे में क्रिकेट की दुनिया में बड़ा बनने की काफी संभावनाएं  इस बात का एहसास होने के बाद वो वडोदरा चले गए। पिता मनीष बताया कि " जब वह सिर्फ सात साल का था तब कृष लगभग दो साल तक सदमे में था जब उसकी मां अंजू की कैंसर से मृत्यु हो गई थी। उसे क्रिकेट पसंद था, मैंने उसे पाटन के एक क्रिकेट क्लब में भर्ती कराया और जल्द ही महसूस किया कि वह एक प्रतिभाशाली क्रिकेटर है। अपने श्रवण यंत्र के साथ वह थोड़ा सुन सकता है। लेकिन कृष खेलते समय डिवाइस नहीं पहन सकते। इसलिए, मैंने कभी नहीं सोचा था कि वह किसी दिन एक सामान्य क्रिकेट टीम में खेलेंगे।”
मनीष ने भारतीय मूक-बधिर टीम के पूर्व कप्तान इमरान शेख से संपर्क किया, जो न केवल कृष को प्रशिक्षित करने के लिए सहमत हुए, बल्कि उन्हें वडोदरा में अपने घर पर रहने के लिए जगह भी दी। कृष ने पिछले सीज़न में कई चयन मैच खेले और बल्ले और गेंद दोनों से अच्छा प्रदर्शन किया।
"उन्होंने हर मैच में विकेट चटकाए और 30-40 रन बनाए। इसलिए, मैंने जोर देकर कहा कि बीसीए को उन्हें खेलना चाहिए। कृष को कोचिंग देते समय और साथ ही खेल रणनीति पर चर्चा करते हुए उनसे संवाद करना एक चुनौती थी। लेकिन सभी टीम के सदस्यों ने उनका समर्थन किया और मुझे कहना होगा कि कृष एक मेहनती और अनुशासित लड़का है," बीसीए के अंडर-16 कोच तुषार अरोठे ने कहा।
बीसीए राज्य अकादमी के कोच विनीत वाडकर ने कहा, "कृष के प्रदर्शन में काफी सुधार हुआ है और वह अन्य लड़कों के साथ अच्छी तरह से जुड़ जाता है। अगर वह लगातार प्रदर्शन करना जारी रखता है, तो वह क्रिकेट की दुनिया में इसे बड़ा बना सकता है।"
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