राजकोट : चार संतानों के होने के बाद भी बीमारी से परेशान माता हुई निराधार

राजकोट : चार संतानों के होने के बाद भी बीमारी से परेशान माता हुई निराधार

मात्र एक ही संतान रखता था माता की देखभाल, हृदय की बीमारी से परेशान होने के चलते मांगी अन्य भाइयों से मांगी मदद तो ना में मिला जवाब

आज के कलियुग में संतान अपने ही माता-पिता को बोज मानने लगे है, इसका एक उदाहरण राजकोट से सामने आया है। जहां चार-चार संतानों के होने के बाद भी बीमार माँ को निराधार होना पड़ा है। बुजुर्ग महिला को चार बेटे थे, जिसमें से मात्र एक ही संतान उनकी सेवा करता था। हालांकि समय के साथ इस बेटे को भी हृदय की बीमारी हो गई, अपनी बीमारी के कारण अब वह अपनी माता का ख्याल रखने में अपनी असमर्थता दिखाते हुये अपने भाइयों से माँ की देखभाल के लिए मदद मांगी थी। पर अन्य तीनों भाइयों ने माता की देखभाल के लिए मना कर दिया था। जिसके चलते एक व्यक्ति ने 181 अभयम महिला हेल्पलाइन की मदद मांगी थी और उन्होंने आकर उनके बेटों को उनकी ज़िम्मेदारी समजाई थी। 
विस्तृत जानकारी के अनुसार, 181 महिला हेल्पलाइन की टीम को एक व्यक्ति का फोन आया की एक बुजुर्ग माजी जिनके चार बेटे और एक बेटी है। माजी हमेशा बेड रेस्ट ही रहती है। फोन आते ही अभयम की टीम वहाँ आ पहुंची थी। काउंसेलर चंद्रिकबेन मकवाना, महिला कॉन्स्टेबल पुष्पाबेन बाबरिया और चांचिया कौशिकभाई ने वहाँ पहुँचकर माजी से बात करने की कोशिश की, जिसमें पता चला की बुजुर्ग माजी देख भी नहीं सकते थे। माजी अपने बेड पर से उठ भी नहीं सकती थी, अब तक उनकी देखभाल उनका सबसे छोटा बेटा करता था। उसके अलावा भी उनके तीन बेटे थे पर उनमें से कोई भी उनका ख्याल नहीं रखता था। 
हालांकि पिछले कुछ समय से छोटा बेटा भी बीमार रहता है और उसे दिल की बीमारी भी हो चुकी है। इसके चलते वह अपनी माँ को उठा नहीं सकता इसके चलते उसने अपने अन्य भाइयों से मदद मांगी। पर उन्होंने मदद करने से साफ इंकार कर दिया। इसके चलते तीनों बेटों को अभयम की टीम ने बुलाकर उनका काउंसेलिंग किया था। काउंसेलिंग के बाद सबसे बड़ा लड़का तो माँ को रखने या भरण पोषण देने के लिए तैयार हो गया, पर तीसरे नंबर का पुत्र समज नहीं रहा था। पुत्र ने कहा की उसकी पत्नी की प्रसूति के समय उसकी माता नहीं आई थी। ऐसे में संतान के ना समजने के कारण कार्यवाही के लिए अभयम टीम ने नारी कोर्ट में आवेदन दिया था।
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