राजकोटः कोरोना में माता-पिता की छत्रछाया खोने के बाद मेडिकल की छात्रा ने क्या कदम उठाया, जानें

राजकोटः कोरोना में माता-पिता की छत्रछाया खोने के बाद मेडिकल की छात्रा ने क्या कदम उठाया, जानें

माता-पिता की मौत के बाद हार नहीं मानी, बल्कि दूसरे के परिवार को बचाने के लिए मैदान में उतरी मेडिकल की छात्रा

मैं दूसरे लोगों के माता-पिता की जान बचाकर अपने माता-पिता को सच्ची श्रद्धांजलि देना चाहता हूंः अपक्षा मारडिया 
 माता-पिता को खोने के कुछ समय के बाद ही  जिस व्यवसाय को  स्वीकार किया है उसकों  समर्पित बन वर्तमान स्थिति में अन्य लोगों के माता-पिता की मदद करने सामने से ड्युटी  (कर्तव्य) स्वीकार किया मेडिकल कॉलेज के दूसरे वर्ष में पढ़ाई करने वाली अपेक्षा मारडिया ने। 
मेरे माता-पिता अब  नहीं रहे, जिसका मुझे बहुत दुःख है। मैं इस दुःख को भूल कर मानव जाति पर आई इस विकट कठिन परिस्थिति में मैं दूसरों की मदद करना चाहता हूं। मेडिकल की छात्रा अपेक्षा मारडिया ने कहा कि मैं कोरोना संक्रमण से अन्य लोगों के माता-पिता को बचाकर अपने माता-पिता को सच्ची श्रद्धांजलि देना चाहता हूं।  
गंभीर रूप से बीमार रोगियों और उनके परिवारों के लोग जब  चिकित्सा टीम पर भरोसा करते हैं, तो उनकी उम्मीदों पर खरा उतरना चाहिए। ऐसा समझकर 27 अप्रैल से समरस कोविड केंद्र में ड्यूटी करना शुरु कर दिया है। अपेक्षा ने रोगी की रिपोर्ट , ऑक्सीजन के स्तर की जाँच करना, दवा का प्रबंध करना, रोगी को शिफ्ट करने के साथ-साथ अन्य कार्यवाही में मदद रुप बन रही है।  
अपने पहले अनुभव के बारे में बताते हुए, अपेक्षा ने कहा कि उन्होंने हाल ही में एक गंभीर रूप से बीमार मरीज को पीडीयु स्थित शिफ्ट करते समय मरीज के साथ एम्बूलेंस में साथ जाकर देखभर की। इतना ही नहीं मरीज को वेंटीलेटर पर रखा तब तक सहायक बनीं।  फिलहाल मरीज की स्थिति अच्छी है। जो उसके लिए खुशी के पल होने की उम्मीद है।
समरस अध्यक्ष चरण सिंह गोहिल ने एवं सीनियर डॉक्टर्स की टीम ने कहा कि अपेक्षा के पिताजी की 6 अप्रैल तथा माता की 10 अप्रैल को कोरोना से मृत्यु होने से उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। साथ ही कक्षा-10 में पढ़ते उनके छोटे भाई की जिम्मेदारी भी उन पर आ गई है। इस कठिन परिस्थिति में वह कर्तव्य से इनकार कर सकती थी, लेकिन उसने कर्तव्य को प्राथमिकता दी। उन्होंने दुखी होने के बजाय, मरीजों के इलाज के लिए जान लगा दी। हाल में समरस में कई रोगियों के बीच बहुत आत्मविश्वास और साहस का एक प्रेरक उदाहरण बन रही अपेक्षा अपने काम में निपुणता प्राप्त कर रही है। अपेक्षा की तरह ही हाल में मेडिकल छात्राओं ने जरुरत के समय मरीज को बचाने की अपनी ड्युटी अदा कर सही मायने में कोरोना वोरियर्स साबित हो रही हैं। प्रदान करता है।