अहमदाबाद : गायों को लम्पी वायरस से बचाने के लिए 17 दंपतियों ने तीन दिन तक रखा उपवास

अहमदाबाद :  गायों को लम्पी वायरस से बचाने के लिए 17 दंपतियों ने  तीन दिन तक रखा उपवास

सोमनाथ के तीर्थ स्थल पर गौ सेवा के लिए लोगों ने गौरी रात्रि उपवास किया

इस समय देश भर में कई मवेशी लम्पी वायरस से पीड़ित हैं। हजारों गायों की मौत हो चुकी है। तो अब लोग दुआ मांग रहे हैं गाय को बचाने की। इसके लिए अब कुछ गौ भक्त उपवास भी कर रहे हैं। सोमनाथ के तीर्थ स्थल पर गौ सेवा के लिए लोगों ने गौरी रात्रि उपवास किया, जिसके दौरान उन्होंने तीन दिनों तक पानी भी नहीं पिया।
सोमनाथ में गौत्रीरात्रि व्रत तीर्थ प्राचीन काल से पुजारी सोमपुरा ब्रह्म समाज द्वारा आयोजित किया जाता है। फिर इस वर्ष गौ वंश की रक्षा के लिए यह व्रत किया गया। मवेशियों को लम्पी वायरस से बचाने के लिए 17 दंपतियों ने गौत्री रात्रि का व्रत किया। सत्यनारायण कथा और सुंदरकांड के पाठ का भी आयोजन किया गया।

तीन दिन पानी भी नहीं पी सकते व्रती


इस व्रत को करने वाले  तीन दिन तक पानी भी नहीं पी सकते। एक तरह से इस तपस्या को गंभीर माना जाता है। पारंपरिक गौरी व्रत तीर्थ पुरोहित समाज द्वारा सोमनाथ में किया जाता है, जो भादरवा सूद तेरस से पूनम तक किया जाता है। इस व्रत को करने वाले को किसी भी प्रकार का फलहार  खाने - पीने की मनाही होती है। यहां तक ​​कि पानी पीना भी मना है। इन तीन दिनों में  बछड़े के साथ गौ माता की सेवा की जाती है।  गौ माता को जौ खिलाया जाता है और जब जौ गोबर में निकल आता है तो जौ को जल से धोकर उसका पानी पीकर व्रत का पारणा करते हैं।

इस व्रत को करने वाले को लगातार तीन दिनों तक बछड़े के साथ गाय की पूजा करनी होती है


यह व्रत पूरे राज्य में केवल प्रभास पाटन सोमनाथ में ही किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से निःसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही इस व्रत को करने वाले व्यक्ति के पारिवारिक सुख, धन और इच्छाओं की पूर्ति करने वाला माना जाता है। सोमनाथ में भाइ- बहनों सहित सत्रह साधकों ने इस कठिन व्रत को पूरा किया।
इस व्रत को करने वाले को लगातार तीन दिनों तक बछड़े के साथ गाय की पूजा करनी होती है। उन्हें घास, पानी, हरा चारा और जौ खिलाकर गायों को संतुष्ट करने से उनके परिवार में संतुष्टि प्राप्त करने के चक्र के पीछे की भावना रही है। सोमनाथ के तीर्थ पुरोहित मार्कण्डदादा पाठक ने कहा कि यह कठिन व्रत पारंपरिक रूप से केवल गुजरात में ही नहीं बल्कि पूरे देश में सोमनाथ प्रभास पाटन में किया जाता है, इस विश्वास के साथ कि इस व्रत को करने वाले को सुख संपत्ति की प्राप्ति होती है।
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