ऑस्ट्रेलिया : एक गंभीर डिसऑर्डर का शिकार हुई थी ये ऑस्ट्रेलियाई मॉडल, दो सालों तक नहीं आये थे पीरियड्स

ऑस्ट्रेलिया :  एक गंभीर डिसऑर्डर का शिकार हुई थी ये ऑस्ट्रेलियाई मॉडल, दो सालों तक नहीं आये थे पीरियड्स

दिन में बारह घंटे सोती थी ये मॉडल, इंस्टाग्राम पोस्ट से अपने व्यक्तिगतअनुभवों के बारे में बताया

महिलाओं के जीवन में पीरियड्स एक अद्वितीय अंग है। हर महिला हर माह इससे गुजारती है और इस दौरान उसको काफी सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हालांकि आज के समय अनियमितता और खान-पान में अनियंत्रण समेत कई ऐसे कारण है जिनके कारण अक्सर महिलाओं के पीरियड्स आगे पीछे हो जाते है पर हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई मॉडल, पूर्व मिस टीन यूनिवर्स (2006) और किस्ड अर्थ की को-फाउंडर राचेल फिंच ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि उन्हें 2 साल तक पीरियड्स नहीं आए थे।
आपको बता दें कि इसके पीछे उनकी एक आदत थी जिसके कारण उन्हें ईटिंग डिसऑर्डर का भी सामना करना पड़ा था। जब वे अपने मॉडलिंग के शुरुआती पड़ाव में थीं तब उन्होंने इस परेशानी का सामना किया था। राचेल फिंच ने बताया कि उन्हें 12 घंटे की नींद लेने की आदत हो गई थी। अपनी इस आदत के कारण मॉडलिंग के शुरुआती दिनों में वो काफी अनहेल्दी सिचुएशन से गुजरी थी। वो शाम 7 से सुबह 7 बजे तक सोती थी।
इसके आगे वो कहती है “माना कि हर कोई चाहता है कि वह भी देर तक सोए लेकिन यह मेरे लिए एक वॉर्निंग साइन था। 12 घंटे की नींद से मुझे समझ आने लगा था कि कुछ तो गलत हो रहा है। मैं 12 घंटे की नींद के बाद भी थकान महसूस करती थी। मुझे 2 साल तक पीरियड्स नहीं आए। लेकिन अगर आज मैं उस समय को देखती हूं तो मुझे लगता है कि मैंने उस समय कितनी बड़ी गलती की थी।
ईटिंग डिसऑर्डर के बारे में बता दें कि यह एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर होता है, जिसमें व्यक्ति कभी तो जरूरत से भी ज्यादा खाता है तो कभी बहुत ही कम खाता है। इतना कम कि उसका वजन कम हो जाता है और बॉडी मास भी घट जाता है। इस पर राचेल ने पहली बार इंस्टाग्राम पोस्ट से अपने व्यक्तिगतअनुभवों के बारे में बताया। रिसर्च बताती हैं कि अधिक सोने या कम सोने से ईटिंग डिसऑर्डर हो सकता है। 
कई मामलों में अगर किसी को नींद नहीं आती तो वह खाने की ओर भागता है। कई लोग मोटापे से निजात पाने के लिए ना सिर्फ खाने से परहेज करते हैं, बल्कि शरीर में मौजूद कैलॉरी को घटाने के लिए हानिकारक तरीकों का सहारा लेते हैं, जिससे बुरा असर पड़ता है। आप भी अपनी खान-पान की आदतों से परेशान हैं तो हो सकता है आप भी ईटिंग डिसऑर्डर की शिकार हैं। ईटिंग डिसऑर्डर होने के मुख्य कारणों का तो अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन माना जाता है कि यह स्थिति जैविक और वातावरण संबंधी कारकों की वजह से होती है। एक शोध के अनुसार, एनोरेक्सिया और बुलिमीया नाम की खान-पान संबंधी बीमारी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में 10 गुना अधिक होती है। एक्सपर्ट हमेशा 7-8 घंटे की गहरी नींद लेने की और विटामिन, मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट युक्त डाइट लेने की सलाह देते हैं।
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