अफगानिस्तान: बुलेट प्रूफ गाड़ियाँ, तालिबानी चेक पोस्ट, एअरपोर्ट पर सुरक्षा, कुछ इस तरह भारतीय सेना ने किया अपने नागरिकों को एयरलिफ्ट
By Loktej
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काबुल में भारतीय दूतावास, भारतीय विदेश मंत्रालय और कैबिनेट सचिवालय इन तीन केंद्रों ने मिशन को अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
अफगानिस्तान में तालिबानी शासन आ जाने के बाद अफगानिस्तान में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। तालिबान ने सरकार बनाने के अपने प्रयासों को तेज कर दिया है और इस बीच भारत का ध्यान अपने लोगों को निकालने पर है। काबुल से भारत के राजदूत और अन्य दूतावास के कर्मचारियों सहित लगभग 120 लोगों को भारत लाया गया था। इन सभी भारतीयों के लिए काबुल से जामनगर का सफर आसान नहीं था लेकिन इन सभी भारतीयों को काबुल एयरपोर्ट तक सुरक्षित पहुंचाना और भी मुश्किल था क्योंकि काबुल में तालिबान लड़ाके अब खुलेआम सड़कों पर घूम रहे हैं। ऐसे में किसी भी भारतीय को बिना चोट पहुंचाए एयरपोर्ट तक पहुंचाना मुश्किल था।
जानकारी के अनुसार मंगलवार को करीब 14 वाहनों में कुल 130 लोगों को एयरपोर्ट लाया गया। इनमें भारतीय नागरिक, पत्रकार, राजदूत, दूतावास के अन्य कर्मचारी और भारतीय सुरक्षाकर्मी शामिल थे। काबुल हवाई अड्डे पर भीड़भाड़ के कारण उड़ान रद्द कर दी गई थी। वायु सेना का मिशन उन सभी को सुरक्षित निकालना था।
काबुल में भारतीय दूतावास, भारतीय विदेश मंत्रालय और कैबिनेट सचिवालय इन तीन केंद्रों ने मिशन को अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। काबुल के आसपास के भारतीयों को हवाई अड्डे तक पहुंचाने के लिए अलग-अलग जत्थों में वाहन तैयार किए गए। किसी भी मिशन से पहले प्रोटोकॉल के तहत दूतावास में जरूरी कागजात नष्ट कर दिए गए। पहले तय हुआ था कि रात में सभी को सुरक्षित एयरपोर्ट पहुंचाया जाएगा, लेकिन तालिबान ने रात में कर्फ्यू घोषित कर दिया था। इनमें वे भारतीय भी थे जो स्वदेश लौटने को तैयार थे। उन सभी को दूतावास आने के लिए कहा गया था। इन सभी ने 16 अगस्त की रात दूतावास में गुजारी और ये सभी 17 अगस्त को एयरपोर्ट के लिए रवाना हुए।
तालिबान ने काबुल स्थित दूतावास के आसपास अपने लड़ाके तैनात कर दिए हैं। किसी को आने-जाने की इजाजत नहीं थी लेकिन कागज दिखाकर भारतीयों को प्रवेश मिल रहा था। अगर किसी अफगान नागरिक ने ऐसा किया तो उसे रोका जा रहा था। यह निर्णय लिया गया कि लौटने वाले भारतीयों को दूतावास में रखा जाए। अब सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि दूतावास से एयरपोर्ट तक सबको कैसे पहुंचाया जाए। आगे और पीछे के पायलट वाहनों सहित कुल 14 वाहन काफिले तैयार किए गए थे। इनमे स्थानीय भाषा बोलने वाले लोग, स्थानीय सड़क जानने वाले लोग थे। दूतावास से हवाई अड्डे तक सड़क के किनारे कुल 15 चौकियां स्थापित की गईं, जहां तालिबान तैनात थे।
जैसे-जैसे एक-एक करके चौकियों को पार किया जा रहा था, दिल्ली को इसकी सूचना दी जा रही थी क्योंकि दिल्ली में भी इस मिशन को अंजाम देने के लिए अधिकारी रात भर जागते रहे। इस बीच अमेरिकियों को मिशन के बारे में जानकारी दी गई क्योंकि अमेरिकी बलों ने हवाई अड्डे पर सुरक्षा प्रदान की।