जानें आखिर क्यों तालिबान का इतना समर्थन कर रहा है रशिया

रशिया के राजदूत ने की तालिबान व्यवस्था की तारीफ, कहा - पहले 24 घंटे ही अशरफ गनी के पूरे कार्यकाल के मुक़ाबले काफी अच्छे

20 सालों के बाद अफगानिस्तान में फिर से एक बार तालिबानों ने अपना साम्राज्य जमा लिया है। कई देश तालिबान के इस सत्ता अधिग्रहण पर रोष व्यक्त कर कार्यवाही करने की मांग कर रहे है, तो कई देश इस समय तालिबान के साथ खड़े है। तालिबान का समर्थन करने वाले देशों में पाकिस्तान, रशिया, चीन और तुर्की जैसे देश शामिल है। इन देशों ने काबुल में अपने दूतावास कार्यरत रखने की घोषणा की है। रशिया ने भी तालिबान के समर्थन में निवेदन देते हुये कहा कि तालिबान शासन में अफगानिस्तान की स्थिति अशरफ गनी की तुलना में अच्छी रहेगी। 
काबुल में रशिया के राजदूत दिमित्री जिर्नोवे ने तालिबान की प्रशंसा करते हुये कहा कि तालिबानों ने अशरफ गनी के शासन में मात्र 24 घंटे में काबुल को सुरक्षित कर दिया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल स्थिति पहले से भी शांत और ठीक है। गनी के शासन में विकास पूरी तरह से शून्य था और अव्यवस्था भी काफी अधिक थी। पर तालिबान के शासन के पहले 24 घंटे ही बताते है कि आगे जाते हुये सब कुछ ठीक रहेगा। जिर्नोव ने कहा पहले कुछ निशस्त्र तालिबानी काबुल में घुस आए थे और सरकार तथा अमेरिकी दलों को सरेंडर करने कहा। जब उन्होंने सरेंडर करने से मना किया तब जाकर उन्होंने सशस्त्र दल काबुल में घुसे थे। 
राष्ट्रपति के देश छोडने के बाद काबुल में कर्फ़्यू लगा दिया गया था। रशियन न्यूज एजंसी आरआईए नोवोस्टी के अनुसार देश छोडकर जाने के पहले अशरफ गनी ने देश की तिजोरी पूरी तरह से खाली कर दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि रशिया मध्य एशिया के हितों का रक्षण करना चाहती है। इन इलाकों में वह अस्थिरता और आतंकवाद नहीं चाहता। रशिया के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक निवेदन में कहा कि काबुल में स्थिति स्थिर है और दावा किया गया है की तालिबान ने पब्लिक व्यवस्था को पुन:स्थापित करने के प्रयास शुरू कर दिये है। 

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