अब फेस मास्क से ही हो सकेगा कोविड टेस्ट, जानें कहाँ हुआ यह अनोखा आविष्कार
By Loktej
On
बायोसेंसर टेक्नोलोजी के जरिये सांस में से ही पता लगेगे कोरोना वायरस की मौजूदगी
भारत भर में कोरोना की दूसरी लहर कम होते दिखाइ दे रहे है। हालांकि अभी भी कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के कारण तीसरी लहर की आशंका बनी हुई है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कई ऐसे केस सामने आये जहां मरीज के शरीर के अंदर कोरोना संक्रमण हो जाने के कई दिनों बाद उसके लक्षण दिखाई देते थे। जिसके चलते मरीज अपना कोरोना रिपोर्ट करवाने कुछ दिनों के बाद जाता और तब तक शरीर के अंदर कोरोना का संक्रमण बढ़ चुका रहता। इसके रिपोर्ट आने में भी दो से तीन दिन का समय लग जाता था। हालांकि हावर्ड यूनिवर्सिटी के वाइस इंस्टीट्यूट फॉर बायोलोजिकल इंस्पायर्ड इंजीनियरिंग की रिसर्च टीम और MIT ने मिलकर एक बायोसेंसर टेक्नोलोजी बनाई है, जो की एक फेस मास्क है। इस मास्क के जरिये ही पता लगाया जा सकेगा की आपको कोरोना है या नहीं।
इसके लिए इस KN95 मास्क में बायोसेंसर अटैच किए गए है। जो की सांस के माध्यम से कोरोना वायरस की मौजूदगी को पहचान लेते है। यूजर द्वारा सेंसर को एक्टिव करने के बाद मात्र 90 मिनट में इसका परिणाम आ जाया है। इस तरह से होने वाले परिणामों की एक्यूरसी भी PCR कोविड टेस्ट जितनी ही है। वाइस इंस्टीट्यूट के एक रिसर्च सायंटिस्ट और स्टडी में सहायता करने वाले पीटर गुएन ने बताया कि टीम द्वारा एक सिंथेटिक बायोलॉजी सेंसर को फेस मास्क में इस्तेमाल किया जा रहा है। जिससे कि महंगे टेस्ट से बचा जा सकेगा।
गुएन ने बताया कि इस सेंसर को अन्य कपड़ों के साथ वायरस, बेकटेरिया, टॉक्सिन और अन्य केमिकल की पहचान करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। इस केमिकल फेस मास्क का इस्तेमाल फेकटरी, गेस प्लांट या खतरनाक लेब में काम करने वाले सभी लोग कर सकते है। मास्क के कारण व्यक्ति के नाक में केमिकल की महक, धुआँ नहीं पहुंचता। रिसर्च में काम करने वाले एक संशोधक के अनुसार, टीम अब ऐसे मेन्यूफ़ेक्चरिंग पार्टनर्स को ढूंढ रही है, जो बड़े पैमाने पर यह मास्क तैयार कर सके। जिससे की महामारी के दौरान जरूरतमंद लोगों को मास्क मिल सके।
Tags: Corona Virus