उत्तर प्रदेश : बीमार पिता को लिवर दान देने के लिए उच्चतम न्यायालय तक पहुंचा था नाबालिग बेटा, जब तक आता फैसला तब तक हो गई पिता की मौत

उत्तर प्रदेश : बीमार पिता को लिवर दान देने के लिए उच्चतम न्यायालय तक पहुंचा था नाबालिग बेटा, जब तक आता फैसला तब तक हो गई पिता की मौत

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई में तेजी तो दिखाई पर जब तक कोई फैसला आता बेटे के सर से उठा गया पिता का साया

हाल ही में उत्तर प्रदेश का एक बच्चा उस समय सुर्खियों में आ गया था जब उस नाबालिग बच्चे ने सुप्रीम कोर्ट से अपने पिता को लिवर दान करने देने की अनुमति मांगी थी। इस मामले पर सुनवाई करते हुए अदालत ने योगी सरकार से इसके बारे में जानकारी मांगी थी। अब इस मामले में बड़ी जानकारी सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट जब तक मामले की सुनवाई करके फैसला सुनाती उससे पहले ही पिता का देहांत हो गया।

पिता को थी लिवर की जरूरत, बेटा दान करने को था तैयार, पर ये थी समस्या


मामले के बारे में अधिक जानकारी के लिए बता दें कि इसमें नाबालिग बेटे के पिता की तबीयत बहुत खराब थी। इसे बचाने के लिए लीवर डोनेशन के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। इस परिस्थिति में बेटा तुरंत अपने पिता को बचाने के लिए अपने लिवर को दान करने के लिए तैयार हो गया लेकिन एक समस्या थी। वर्तमान भारतीय कानून नाबालिग को अंगदान करने की इजाजत नहीं देता है। इसकी मंजूरी के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई तेज की लेकिन इतना ही काफी नहीं था।

अदालत ने सुनवाई में दिखाई थी तेजी पर ये रहा नाकाफी


अदालत ने पिछले शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई की और कहा कि वह सोमवार को दलील सुनेगी। CJI यू ललित के नेतृत्व वाली अदालत ने यूपी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी को उपस्थित रहने के लिए कहा। अदालत को यह तय करना था कि क्या ऐसी असाधारण परिस्थितियों में नाबालिग को अपने पिता को लीवर दान करने की अनुमति दी जा सकती है। इसी दौरान बुधवार को अधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने अदालत को सूचित किया कि बीमार पिता की मृत्यु हो गई है। प्रसाद ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एएस ओका की पीठ को बताया कि 5 सितंबर से वेंटिलेटर पर थे, शनिवार को उनकी मौत हो गई। इस तरह एक बेटे के सर से पिता का साया उठ गया।

क्या है भारत में अंगदान को लेकर कानून


अंगदान के मामले में ह्यूमन ऑर्गन ट्रांसप्लांट एक्ट 1994 लागू होता है। जिसके अनुसार केवल वयस्कों और मृत नाबालिगों के अंगों का ही दान किया जा सकता है। संविधान में स्वास्थ्य को राज्य सूची में रखा गया है। विभिन्न उच्च न्यायालयों ने कानून से परे जाकर, असाधारण परिस्थितियों में नाबालिगों को अंगदान की अनुमति दी है।