इस बार पत्नी को देना होगा अपने पूर्व पति को मासिक 3 हजार रूपये का गुजारा भत्था, जानें क्या है मामला

शिक्षिका के तौर पर अच्छा कमाने वाली महिला से भरणपोषण की मांग करते हुये पति ने किया था आवेदन, साल 2015 में हुआ था तलाक

आम तौर पर तलाक के मामलों में पति द्वारा अपनी पत्नी को भरणपोषण के लिए मुआवजा देने के मामले सुने और देखे होंगे। हालांकि औरंगाबाद में एक अनोखा ही मामला सामने आया है, जहां हाईकोर्ट ने एक पत्नी को अपने पूर्व पति को हर महीने तीन हजार रुपये भरणपोषण देने का आदेश दिया था। इसके अलावा कोर्ट ने महिला जिस स्कूल में पढ़ाती है, वह भी निर्देश देते हुये कहा है कि महिला की पगार में से हर महीने 5000 रुपये काट कर कोर्ट में जमा करवाई जाए। क्योंकि उसने आदेश के बाद भी मुआवजे की रकम जमा नहीं करवाई थी। 
कोर्ट ने साल 2017 और 2019 में स्थानीय कोर्ट द्वारा दिये आदेशों को समर्थन देते हुये यह निर्णय सुनाया था। कोर्ट ने कहा कि महिला टीचर के तौर पर अच्छी कमाई कर रही है। जबकि पति की स्थिति अच्छी नहीं है। ऐसे में हिन्दू मेरेज एक्ट की धारा 24 और 25 का अभ्यास करने पर मालूम चलता है कि यदि पति और पत्नी दोनों में से किसी एक कि भी स्थिति अच्छी हो तो दूसरा पक्षकार भरणपोषण की मांग कर सकता है। यह भरणपोषण कुछ समय के लिए या तो आजीवन हो सकता है। 
महिला ने साल 2015 में अपने पति से तलाक ले लिया था। जिसके बाद अशक्त पति ने पत्नी से भरणपोषण की मांग करते हुये केस दर्ज किया था। जिसमें स्थानीय कोर्ट ने महिला को अपने पति को मुआवजा देने का आदेश दिया था। जिसके खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील की थी। हालांकि हाईकोर्ट ने भी स्थानीय कोर्ट का आदेश मान्य रखते हुये महिला को मुआवजा देने का निर्णय स्थायी रखा था और अब तक जो मुआवजा नहीं दिया है उसके लिए महिला की स्कूल से हर महीने 500 रुपये सीधे कोर्ट में जमा करने का निर्देश दिया था।