छत्तीसगढ़ : बच्चों को मिल सके भोजन इसलिए रोजाना आठ किलोमीटर कंधे पर अनाज लेकर पैदल गाँव तक आते है शिक्षक

छत्तीसगढ़ : बच्चों को मिल सके भोजन इसलिए रोजाना आठ किलोमीटर कंधे पर अनाज लेकर पैदल गाँव तक आते है शिक्षक

पहाड़ी इलाकों में सड़क नहीं, रस्ते में है जंगली जानवर का खतरा फिर भी रोज पैदल गाँव तक आते है दो शिक्षक

छत्तीसगढ़ के दूरदराज के गांवों में अभी भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। अभी भी लोगों को अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। खासतौर पर पहाड़ी इलाकों में सड़क नहीं होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला बलरामपुर जिले में सामने आया है। खड़िया डामर ग्राम पंचायत में छात्रों को नियमित दोपहर का भोजन उपलब्ध कराने के लिए शिक्षकों को स्कूल में राशन पहुंचाने के लिए रोजाना करीब 8 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है।
आपको बता दें कि रोजाना 8 किलोमीटर का सफर तय करने वाले शिक्षकों ने राज्य सरकार से पहाड़ी स्कूलों को गांव से जोड़ने वाली सड़क बनाने का अनुरोध किया है। एएनआई से बात करते हुए, शिक्षक सुशील यादव ने कहा, "यहाँ कई कठिनाइयाँ हैं। सड़कें बहुत उबड़-खाबड़ हैं, खासकर बरसात के मौसम में।” आपको बता दें कि शिक्षक जिस जंगल से गुजरकर आते है वो कई सारे जंगली जानवरों से भरा हुआ हैं। इसके बाद भी इतना खतरा उठाकर शिक्षक सिर्फ यह सुनिश्चित करने के लिए रोज आठ किलोमीटर की दुरी तय करके गांव आते है कि कोई भी स्कूली छात्र किसी भी दिन दोपहर के भोजन से वंचित न रहे। इस समस्या को दूर करने के लिए शिक्षक सरकार से गांव में सड़क बनाने की गुजारिश करते हैं।
गौरतलब है कि इन शिक्षकों को आए दिन किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, इसका भी एक वीडियो सामने आया है। जिसमें आप देख सकते हैं कि कैसे शिक्षक कंधे पर राशन की बोरी लेकर पानी भरी सड़क पार कर रहे हैं। दोनों शिक्षक पैदल ही पानी पार कर रहे हैं। बलरामपुर निवासी लखने ने बताया कि खड़िया डामर ग्राम पंचायत के सरकारी स्कूल में दो शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है। वे यहां पैदल आते हैं। मैं इन शिक्षकों के समर्पण को सलाम करता हूं। इस संबंध में बलरामपुर जिला शिक्षा अधिकारी बी. एक्का ने कहा, ''मैंने इस मामले पर संज्ञान लिया है। हमारे दो शिक्षक सुशील यादव और पंकज हैं। स्कूल पहाड़ी पर है, उनके इस काम के लिए मैं उन्हें सलाम करता हूं।"