मरने के बाद भी सीमा की सुरक्षा कर रहा है यह सैनिक, जानें हैरान कर देने वाली देशभक्ति की अनोखी दास्तान

मरने के बाद भी सीमा की सुरक्षा कर रहा है यह सैनिक, जानें हैरान कर देने वाली देशभक्ति की अनोखी दास्तान

13 हजार फिट की ऊंचाई पर बनी है समाधि, कई लोग जाते है दर्शन करने

भारतीय सेना का हर जवान अपनी मातृभूमि के लिए मर मिटने को तैयार रहता है। सीमा पर जवानों की मौजूदगी के कारण ही आज हर कोई घरों में आसानी से रह पाता है। अपनी जीवन के अंतिम श्वास तक हर सैनिक अपनी जन्मभूमि के लिए हर एक बलिदान करने के किसी भी मौके से पीछे नहीं हटता। पर यदि हम आपको कहे की एक सैनिक मरने के बाद आज भी देश के सरहद की सुरक्षा कर रहा है, तो क्या आप मानोंगे? यकीन में ना आए पर यह बात बिलकुल सच है। 
भारत और चीन की सीमा पर एक जवान मरने के बाद भी सरहद की रक्षा कर रहा है। यही नहीं इस मृतक सिपाही के परिवार को हर महीने वेतन भी मिलता है और उनका प्रमोशन भी होता है। उनकी याद में वहाँ एक मंदिर भी बनाया गया है, जहां लाखों लोग दर्शन करने के लिए भी आते है। इस जवान का नाम है हरभजन सिंह, जो की 24 पंजाब रेजीमेंट में तैनात थे। सन 1968 में ड्यूटी के समय वह एक दुर्घटना में मृत्यु को प्राप्त हुए थे। 
दुर्घटना के कई दिनों बाद तक उनकी लाश को ढूंढा गया, पर उनकी लाश नहीं मिली। पर एक दिन एक जवान को हरभजन ने सपने में आकर अपनी लाश का पता लगाया। दूसरे दिन जब वहाँ सर्च ऑपरेशन किया गया तो वहाँ से उनकी लाश मिल आई। वहीं पर उनका अंतिम संस्कार किया गया और उसके बाद वहीं उनका मंदिर भी बनाया गया। कुछ दिनों बाद फिर से उसी सिपाही के सपने में फिर एक बार हरभजन सिंह की आत्मा आई और कहा की वह आज भी वही है। इसके बाद सभी ने मिलकर वहीं पर उनकी एक समाधि बनाइ। साल 1982 में भारतीय सेना ने उनकी समाधि को सिक्किम की राजधानी गंगटोक के जेलेपला और नथुला के बीच बनाई। जिसमें बाबा हरभजन के एक फोटो के साथ उनके शुज और बाकी का सामान रखा गया है।