अजीब : 6 महीने से बाकी पगार मांगने गए टीचर को थमा दिया घोड़ा, हर दिन के खर्च से परेशान हुआ शिक्षक

अजीब : 6 महीने से बाकी पगार मांगने गए टीचर को थमा दिया घोड़ा, हर दिन के खर्च से परेशान हुआ शिक्षक

8 से 10 दिन में पैसे देने का वादा देकर घोडा दिया था, दो सप्ताह से अधिक समय के बाद भी नहीं आए वापिस

विश्व भर में कोरोना महामारी ने विभिन्न व्यवसायों पर काफी गहरी छाप छोड़ी है। हालांकि इसकी सबसे बड़ी और गहरी असर शिक्षकों के ऊपर हुई है। महामारी के कारण सभी स्कूल-कॉलेज बंद हो गए, जिसके चलते शिक्षकों का भी स्कूल आना बंद हो गया। ऐसे में कई निजी स्कूल द्वारा शिक्षकों को कम पगार दिये जाने की या तो स्कूल में से निकाल दिये जाने की घटनाएं सामने आई है। कम पगार देने वाली कई स्कूलों ने भी काफी महीनों से शिक्षकों को पगार नहीं दिये होने के मामले भी सामने आए है। 
कुछ ऐसा ही एक मामले मध्यप्रदेश के धार जिले से सामने आया है। जहां स्कूल में हॉर्स राइडिंग सिखाने वाले अर्जुन कटारे के साथ जो हुआ है वह सुनकर आप भी हैरान रह जाओगे। अर्जुन कटारे धामनोद के हिमालय स्कूल में एक हॉर्स राइडिंग टीचर है। जहां वह कोंट्राक्टर सचिन राठौड़ के तहत काम करते हुए बालकों को हॉर्स राइडिंग सिखाते थे। पर कोरोना महामारी के बाद से सभी स्कूल बंद हो गई, जिसके चलते उनका काम भी बंद हो गया। 
डेढ़ साल के बाद भी आज तक स्कूलें नहीं खुली है, जिसके चलते अर्जुन का पूरा आयोजन बिगड़ गया था। स्कूल मैनेजमेंट द्वारा भी पिछले 6 महीनों से उन्हें पगार नहीं दिया गया था। जिसके चलते वह अपने कोंट्राक्टर सचिन राठौड़ के पास गए और उनसे पगार की मांग की। सचिन ने अर्जुन को पगार तो नहीं दिया, पर उसे एक घोडा देते हुये कहा कि वह आठ-दस दिन के लिए बाहर जा रहा है। जिसके बाद आकर वह उसकी पगार दे देगा और अपना घोडा लेकर जाएगा। 
हालांकि इस बात को अब 15 दिनों से भी अधिक हो गया है। अब तक सचिन अपना घोडा लेने नहीं आया है। पहले से ही अर्जुन की आर्थिक परिस्थिति काफी खराब है, ऐसे में हर दिन घोड़े के पीछे होने वाले खर्च के कारण अर्जुन की स्थिति गरीबी में आटा गीला जैसी हो गई है। सचिन के ना आने के कारण अर्जुन को ही घोड़े की सभी चीजों का ध्यान रखना पड़ रहा है। हर दिन अर्जुन को 100 रुपए का खर्च घोड़े के लिए करना पड़ रहा है। 
मामले में स्कूल मैनेजमेंट ने भी कुछ करने से मना कर दिया है। स्कूल का कहना है कि हॉर्स राइडिंग की ट्रेनिंग की ज़िम्मेदारी उन्होंने कोंट्राकट पर दे दी थी, जिसमें अब उन्हें कोई भी लेना देना नहीं है। इन सभी के कारण अर्जुन की परेशानी और भी बढ़ गई है। एक तो गरीबी में 6 महीने से बाकी पगार और वहीं ऊपर से घोड़े का अतिरिक्त खर्च उसे परेशान कर रहा है।