भाई की हत्या का दोष भाभी और साले पर मढ़ा, लेकिन सच सामने आया तो पिता लपेटे में आ चुके थे!

बहु-ससुर के नाजायज संबंध में बेटे की चढ़ी बलि

कहते है कि प्यार अंधा होता है। प्यार कोई भी अंतर नहीं देखाता, यह अमीर गरीबी नहीं देखता है। लेकिन प्यार इतना भी अंधा कैसे हो सकता है जो अपने ही बेटे की शादीशुदा जिंदगी को खराब कर दे? ऐसी ही एक मानवता को शर्मसार करने वाली घटना राजस्थान के जैसलमेर जिले में सामने आई है जहाँ एक पिता ने अपने ही बेटे की पत्नी के साथ अफेयर के कारण अपने बेटे की हत्या कर दी।
जानकारी के अनुसार यहां पिता ने अपनी बहु के साथ मिलकर अपने ही बेटे को मार डाला। पुलिस ने हत्यारे पिता और बहू को गिरफ्तार कर लिया है। घटना 25 अप्रैल को हुई थी, लेकिन ये खुलासा अभी हुआ है। आपको बता दें कि मृतक के भाई भोमराज ने अपने भाई हीरालाल की पत्नी पारले और उसके भाई (मृतक के साले) पर हत्या का आरोप लगाते हुए पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जांच में बाद में पता चला कि मृतक की पत्नी पारले का अपने ससुर के साथ नाजायज संबंध था और दोनों ने मिलकर हीरालाल की हत्या की थी।
पुलिस ने बताया कि मृतक की पत्नी का उसके ससुर से अफेयर था, जिसके कारण हीराराम की पत्नी और पिता ने ही उसे मौत के घाट उतार दिया। नचना उप पुलिस अधीक्षक हुकमा राम विश्नोई ने कहा कि छोटे भाई ने कथित मामला दर्ज किया था, जिसके बाद मृतक के शव को 10 दिन बाद कब्र से बाहर निकाला गया और मेडिकल बोर्ड द्वारा जांच की गई। पुलिस के मुताबिक, 25 अप्रैल की रात करंट लगने से हीरालाल की मौत हो गई थी और 26 अप्रैल को इस बात की सूचना मिली थी।
घटना के दस दिन बाद, मृतक के छोटे भाई ने पुलिस को मामले की सूचना दी और मृतक की पत्नी पारले पर हत्या का आरोप लगाया। पुलिस ने 4 दिन पहले तालुका अधिकारी की मौजूदगी में शव को कब्र से निकाला और मेडिकल बोर्ड से पोस्टमॉर्टम करवाया। इस बीच, पुलिस जांच में पता चला कि पारले का अपने ससुर मुकेश के साथ नाजायज संबंध था। उन्होंने पुलिस द्वारा पारले को हिरासत में लेने और पूछताछ करने के बाद घटना का खुलासा किया।
आरोपी  पारले ने बताया कि 25 अप्रैल को उसने हीरालाल को नीबू सिकंजी में मिलाकर नींद की गोलियां पिला दिया। रात में जब हीरालाल गहरी नींद में सो गया तो उसके बाद उसने और उसके ससुर ने हीरालाल के कान में बिजली का तार लगाया और लाइट चालू कर दी। लगभग 15-20 मिनट बाद जब तार हटाया गया तो हीरालाल की मौत हो चुकी थी। इसके बाद दोनों ने इसे स्वाभाविक मौत बताते हुए लाश को दफना दिया।