दोस्ती की मिसाल : कोरोना संक्रमित दोस्त को ऑक्सीजन पहुँचाने के लिए 24 घंटे में तय की 1400 किमी की दूरी

दोस्ती की मिसाल : कोरोना संक्रमित दोस्त को ऑक्सीजन पहुँचाने के लिए 24 घंटे में तय की 1400 किमी की दूरी

बचपन के दोस्त को थी ऑक्सीजन की जरुरत, बोकारो में रहने वाले दोस्त ने तय किया दिल्ली तक का सफ़र

देश में कोरोना की स्थिति बहुत गंभीर होती जा रही है। दिन-ब-दिन कोरोना संक्रमित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में संक्रमित मरीजों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अधिकांश राज्यों में ऑक्सीजन की भारी कमी देखी जा रही हैं। इतना ही नहीं ऐसे खबरें भी सामने आ रही हैं कि कोरोना के मरीज अपना अस्पताल छोड़कर गायब हो रहे हैं तो लोगों कोरोना से मरने वाले परिजनों के शव लेने से इनकार कर रहे हैं। इस बीच, दोस्ती का एक अद्भुत उदाहरण सामने आया है जिसने सभी का दिल जीत लिया है। एक दोस्त की जान बचाने के लिए दुसरे दोस्त ने ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ नोएडा पहुंचने के लिए मात्र 24 घंटे में बोकारो से 1400 किमी का सफर तय किया।
आपको बता दें कि बोकारो में रहने वाला देवेंद्र पेशे से शिक्षक है, जबकि नोएडा में रहने वाला उसका दोस्त रंजन अग्रवाल दिल्ली में एक आईटी कंपनी में काम करता है। इस समय रंजन अग्रवाल कोरोना संक्रमण की गिरफ्त में हैं और उनका ऑक्सीजन स्तर घट रहा था, लेकिन ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी। इसलिए डॉक्टर ने स्पष्ट कर दिया कि मरीज की जान बचाने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत है। इस बीच, रांची में रह रहे देवेंद्र को 24 अप्रैल रात वैशाली गाजियाबाद में रहने वाले संजय सक्सेना का फोन आया कि कोरोना संक्रमित राजन के लिए ऑक्सीजन की सख्त जरूरत है और यहां ऑक्सीजन का इंतजाम नहीं हो पा रहा है। सिर्फ एक दिन के लिए ऑक्सीजन बची है। संजय सक्सेना के घर पर ही राजन का इलाज चल रहा है। ऐसे में देवेंद्र ने अपने दोस्त की जान बचाने के लिए कार से 24 घंटे में 1400 किलोमीटर से अधिक दूरी का सफर तय कर ऑक्सीजन पहुंचाई।
इस बीच उन्होंने बोकारो में कई संयंत्रों और आपूर्तिकर्ताओं के दरवाजे खटखटाए, लेकिन खाली सिलेंडर के बिना कोई ऑक्सीजन देने को तैयार नहीं थे, हालांकि देवेंद्र ने फिर भी हार नहीं मानी और उनका प्रयास रंग लाया। फिर उसने एक अन्य दोस्त की मदद से बियाडा में झारखंड स्टील ऑक्सीजन प्लांट के प्रबंधक से संपर्क किया और वह सिक्योरिटी मनी की शर्त पर ऑक्सीजन सिलेंडर देने को तैयार हो गया। देवेंद्र ने बड़े सिलेंडर के लिए 10,000 रुपये का दिए, जिसमें ऑक्सीजन के लिए 400 रुपये और सिलेंडर के लिए 9,600 रुपये सुरक्षा राशि के रूप में थे।
ऑक्सीजन सिलेंडर मिलने के बाद, देवेंद्र रविवार सुबह नोएडा के लिए अपनी कार से निकले और लगभग 24 घंटे में पहुंच गए। हालांकि रास्ते में ऑक्सीजन सिलेंडर को लेकर चेकिंग के दौरान उनसे सवाल भी किए गए। पुलिस ने उनसे राज्य की सीमा पर पूछताछ की, इस पर उन्हें बताना पड़ा कि उनकी दोस्त की जिंदगी का सवाल है ऐसे में अपने दोस्त की जान बचाने निकले देवेन्द्र को पुलिस ने जाने दिया। इतना ही नहीं, जब देवेंद्र सिलेंडर लेकर दिल्ली पहुंचा तो रंजन अग्रवाल की आंखों में आंसू भर आए। राजन सांसों के लिए संघर्ष कर रही रहे थे कि दोस्त ने सही समय पर ऑक्सीजन सिलेंडर ले जाकर उसकी जान बचा ली। अब राजन की हालत पहले से बेहतर है। राजन ने कहा कि ऐसे दोस्त के साथ रहने कोरोना क्या कर लेगा। देवेंद्र का अब यही कहना है कि जब तक उनका दोस्त पूरी तरह ठीक नहीं हो जाता, वो बोकारो नहीं लौटेंगे।