आईआईटी के संशोधकों ने बनाया मास्क और पीपीई के लिए री-यूजेबल मटीरियल
By Loktej
On
120 नेनोमीटर की दूरी से फिल्टर करता है कोरोना सहित अन्य माइक्रोब्स को
भारत भर में चल रहे कोरोना महामारी के खिलाफ सभी अपनी लड़ाई लड़ रहे है। महामारी के इस कहर के सामने यदि कोई हमें वायरस से बचाकर रख रहा है तो वह है मास्क का उपयोग। हालांकि अब तक बाज़ारों में मिल रहे मास्क कुछ इस्तेमाल के बाद फिर से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इसके अलावा अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा इस्तेमाल किया जाना वाला पीपीई किट भी बारबार इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। हालांकि मंडी स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी ने इसके लिए एक उपाय ढूंढ निकाल लिया है।
मंडी स्थित आईआईटी के संशोधकों द्वारा एक विशिष्ट मटीरियल बनाया गया है। आईआईटी के संशोधकों द्वारा बनाया गया यह पोलीकॉटन फेब्रिक वायरस को फिल्टर कर देता है और अपने आप ही स्वच्छ भी हो जाता है। इसके अलावा इस फेब्रिक में एंटी बेकटेरियल गुणधर्म भी है, जिसके चलते इसका इस्तेमाल मास्क और पीपीई किट बनाने के लिए भी किया जा सकता है। इस मटीरियल से बनाया गया मास्क माइक्रोब्स को मार देता है और इसके अलावा इस फेब्रिक को सोलर लाइट के द्वारा स्वच्छ भी किया जा सकता है।
संशोधन से जुड़े डॉ. अमित जयस्वाल का कहना है कि एक बार इस्तेमाल करके फेंक दिये मास्क और पीपीई किट संक्रमण बढ्ने का जरिया बन सकते है। क्योंकि उसमें अभी भी कोरोना के वायरस की उपस्थिती होने की संभावना बनी रहती है। ऐसे में पर्यावरण को भी शुद्ध और वायरस रहित रखना काफी जरूरी था। इसी कारण उन्हें यह विचार आया।
इस फेब्रिक का इस्तेमाल मास्क बनाने में भी किया जा सकता है। फेब्रिक सांस लेने की क्षमता को असर किए बिना 120 नेनोमीटर की रेंज में आने वाले कोरोना सहित सभी वायरस को 96 प्रतिशत तक फिल्टर कर सकता है। इस मास्क का इस्तेमाल कर कोरोना तथा अन्य माइक्रोबियल संक्रमण को फैलाने से रोकने में काफी सहायता प्राप्त हो सकता है।
Tags: Himachal Pradesh