साइकल पर कसरत के साथ-साथ अनाज पीसने का जुगाड़!

साइकल पर कसरत के साथ-साथ अनाज पीसने का जुगाड़!

लोकडाउन के दौरान आया आइडिया, वर्कआउट के साथ हो जाता है घर का भी काम

आधुनिक जीवन शैली में दूरी पर जाने के लिए लोग तेज गति से चलने वाली टू-व्हीलर फोर व्हीलर आदि का इस्तेमाल करते हैं लेकिन इसके बावजूद स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए साइकिलिंग आवश्यक है। हालांकि झारखंड के जमशेदपुर में रहने वाले एक शख्स ने साइकल के माध्यम से ऊर्जा उत्पन्न किया जा सकेगा।
झारखंड के जमशेदपुर में रहने वाले मनदीप नाम के शख्स ने साइकिल चलाने से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा से अनाज पीसा जा सके ऐसा संशोधन किया है। इससे शारीरिक स्वास्थ्य भी बना रहेगा और अनाज भी पीसा जा सकेगा। कहां जाता है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। कुछ यही बात यहां पर भी लागू होती है। कोरोनावायरस के कारण सभी जगह बंद की परिस्थिति आ गई है। अनाज पीसाने  के लिए भी लोग बाहर नहीं जा पा रहे हैं। लाइनों में देर तक खड़ा रहना पड़ता है वहां भी कोरोना का भय लगा रहता है। इसलिए मनदीप को अपने घर पर ही कसरत करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली साइकिल से अनाज पीसने विचार किया और धीरे-धीरे कुछ ऐसा ही बना डाला। साइकिल चलाने साथ ही अनाज भी पीसा जा सकेगा। 
मनदीप के परिवारजन भी इसका उपयोग  करते हैं। मनदीप लोहे के व्यवसाय के साथ जुड़ा है। उसने लॉकडाउन के दिनों में अनाज पीसने वाले घंटी के गोल पत्थर मंगाए और घंटी में लगने वाले अन्य पार्ट भी बड़ी मेहनत से जुटा लिए। साइकिल के पैडल को चक्की के एक्सेल के साथ जोड़ दिया गया पर गोलाकार बर्तन फिट कर दिया गया है। साइकिल को पेंडल मारने से चक्की के गोल पत्थर घूमने लगते हैं।इससे अनाज पीसा जाता है। मनदीप ने इस बारे में सीमा दीदी की मदद ली।  साइकिल की मदद से आधे घंटे में डेढ़ किलो गेहूं पीसा जाता है। इसमें आटा नहीं चिपकने के कारण पोषक तत्वों का नाश भी नहीं होता। आजकल लोग जिम में जाकर बड़ी फीस भरते हैं लेकिन इस शोध के कारण घर बैठे कसरत भी होगी और साथ में अनाज भी पीसा जा  सकेगा। बताया जा रहा है कि साइकिल के मॉडिफिकेशन में ₹15000 का खर्च हुआ है। इसके माध्यम से गेहूं बाजरी और मसाला पीसा जा सकेगा। हालाँकि इसमें ज़्यादा मेहनत करनी होगी।
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