लाल किले पर 22 साल पहले हुए हमले के दोषी की मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने रखा बरकरार

लाल किले पर 22 साल पहले हुए हमले के दोषी की मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने रखा बरकरार

कोर्ट ने किया मोहम्मद आरिफ की पुनर्विचार याचिका खारिज

लाल किले पर 2000 में हुए हमले के दोषी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है। कोर्ट ने मोहम्मद आरिफ की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है।

लालकिला हमले के दोषी की फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा


इस मामले में सेशन कोर्ट ने आरिफ को दोषी पाया और 2005 में उसे मौत की सजा सुनाई थी। 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान मौत की सजा को बरकरार रखा था। अब उच्चतम न्यायलय ने 2000 के लाल किले पर हुए हमले के दोषी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखाते हुए मोहम्मद आरिफ की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है।

22 दिसंबर 2000 को लश्कर-ए-तैयबा ने किया था आतंकी हमला


आपको बता दें कि आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने 22 दिसंबर 2000 को लाल किले पर हमला किया था। इस हमले में दो जवानों समेत तीन लोग शहीद हो गए थे। भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई में लाल किले में घुसपैठ करने वाले दो आतंकवादी मारे गए। 31 अक्टूबर 2005 को सेशन कोर्ट ने लाल किला हमले के मामले में आरिफ को दोषी पाया और मौत की सजा सुनाई।

पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा को रखा था बरकरार


गौरतलब है कि 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने आरिफ की मौत की सजा को बरकरार रखते हुए रिव्यू पिटीशन दाखिल की थी। फिर 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने आरिफ की क्यूरेटिव पिटीशन भी दाखिल की। उसके बाद एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी आरोपी की सजा को लेकर दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है।