केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) टर्म-1 बोर्ड की अंग्रेजी विषय की परीक्षा विवादों में, लगा है महिला रूढ़िवादी सोच को बढ़ावा देने का आरोप
हाल ही में हुए परीक्षा के दौरान अंग्रेजी के प्रश्नपत्र में पूछे गए विवादित प्रश्नों को लेकर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने बड़ा फैसला किया है। सीबीएसई ने विवादित प्रश्नों को निरस्त कर दिया है। सीबीएसई ने संबंधित हितधारकों की प्रतिक्रिया और विशेषज्ञों की सिफारिश पर विवादित प्रश्न निरस्त कर इसके लिए छात्रों को पूरे अंक दिए जाएंगे।
जानकारी के अनुसार सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक डॉ संयम भारद्वाज ने कहा कि 11 दिसंबर, 2021 को आयोजित सीबीएसई 10वीं कक्षा की टर्म-1 परीक्षा के अंग्रेजी भाषा और साहित्य के पेपर के एक सेट में एक प्रश्न में बोर्ड के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया है। इसपर लोगों और विद्यार्थियों से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर मामले को विषय विशेषज्ञों की एक समिति के पास भेजा गया था। अब उन विशेषज्ञों की राय पर इन प्रश्नों को छोड़ने का निर्णय लिया गया है। इस पैसेज के लिए सभी संबंधित छात्रों को पूरे अंक दिए जाएंगे। वहीं, एकरूपता और समानता सुनिश्चित करने के लिए, 10वीं कक्षा के अंग्रेजी भाषा और साहित्य के प्रश्न पत्र के सभी सेटों के लिए पैसेज नंबर-1 के लिए सभी छात्रों को पूर्ण अंक भी दिए जाएंगे।
प्रश्न की बात करें तो केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) टर्म-1 बोर्ड की अंग्रेजी विषय की परीक्षा विवादों में है। इंग्लिश पेपर के सेट 002/1/4 के सेक्शन-ए रीडिंग में एक पैसेज पर दिए गए विवरण को कथित तौर पर महिला रूढ़िवादी सोच को बढ़ावा देने का आरोप लगा है। सोमवार को लोकसभा में इस बात को मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने में इसे केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की गंभीर चूक बताते हुए सीबीएसई तथा सरकार से इन सवालों को वापस लेने की मांग की थी। इससे पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी इस मुद्दे को लेकर सरकार पर महिला विरोधी होने का आरोप लगाया था। इस पैसेज में 13 से 19 वर्ष की आयु के टीनएजर्स के जीवन शैली के बारे में बताया गया है कि कैसे वह अपनी ही दुनिया में जब जीने लगते हैं। जब परिवार में महिला अपनी इच्छा से समाज में आगे बढ़कर अपना करियर चुनती है और समाज में एक नाम-पहचान हासिल करती है। तब परिवार में माता-पिता का बच्चों पर से अधिकार कम होने लगता है। बच्चे यह फैसला नहीं कर पाते हैं कि वह दोनों में किस की सुने। महिलाओं को परिवार में अनुशासन बनाए रखने के लिए अपने पति की आज्ञा का पालन करना चाहिए।
I urge the Ministry of Education and CBSE to immediately withdraw this question, issue an apology and conduct a thorough review into this lapse to ensure this is never repeated again: Congress interim president Sonia Gandhi in Lok Sabha pic.twitter.com/pGoAuRYC4l
साथ ही एक महिला, मां होते हुए अपने पति के तरीके को स्वीकार करेगी, तभी उसके छोटे बच्चे अपनी मां की आज्ञा का पालन करेंगे। महिला उद्धार ने बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को खत्म कर दिया है। इस तरह के कई वाक्य इंग्लिश के इस पेपर में मौजूद हैं, जो इस तरह की व्याख्याएं करते हैं। इस पैसेज में पिछली सदी के विचारों का उल्लेख किया गया है, साथ में 20वीं सदी में महिलावादी विद्रोह होने के बाद से परिस्थितियों में बदलाव की व्याख्याओं के संदर्भ में इसे बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को कम करने की बात कही गई है।