12वीं के सभी बच्चों के लिए एक समान मूल्यांकन नीति नहीं संभव, केंद्र ने सुप्रीम में दिया बयान

12वीं के सभी बच्चों के लिए एक समान मूल्यांकन नीति नहीं संभव, केंद्र ने सुप्रीम में दिया बयान

तय मूल्यांकन नीति से बनाए गए रिजल्ट से असंतुष्ट छात्रों के लिए कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि को देखते हुये परीक्षा की जाएगी आयोजित

नई दिल्ली, 22 जून (आईएएनएस)| केंद्र ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सभी बोर्ड परीक्षाओं के लिए कोई समान मूल्यांकन नीति नहीं हो सकती है, जिसमें सीबीएसई, आईसीएसई और 32 राज्य बोर्ड शामिल हैं। केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि सभी बोर्ड स्वायत्त निकाय हैं और उन्हें कक्षा 12वीं के छात्रों के मूल्यांकन के संबंध में अपनी योजनाएं तैयार करने का अधिकार है।
उन्होंने शीर्ष अदालत से कहा कि प्रत्येक छात्र का जीवन संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा संरक्षित है और चल रही महामारी के बीच लिखित परीक्षा होना सुरक्षित या विवेकपूर्ण नहीं है। वेणुगोपाल ने कहा, छात्रों को महामारी के दौरान परीक्षा देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी छात्र को कुछ होता है, तो उसके माता-पिता बोर्ड पर मुकदमा करेंगे।
एजी ने कहा कि यह स्थिति पहली बार उत्पन्न हुई है और बोडरें को छात्रों के सर्वोत्तम हित के बारे में सोचना और नवाचार करना है। उन्होंने कहा कि 13 विशेषज्ञों ने अपनी सहमति जताई है और इसे सीबीएसई द्वारा अनुमोदित किया गया है। केंद्र ने शीर्ष अदालत को यह भी बताया कि छात्रों को एक विकल्प दिया जाएगा, यानी यदि वे मूल्यांकन से संतुष्ट नहीं हैं, तो वे परीक्षा का विकल्प चुन सकते हैं। सीबीएसई ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि कक्षा 12 के छात्रों के लिए वैकल्पिक परीक्षाएं, जो इसके मूल्यांकन मानदंडों से असंतुष्ट हैं, 15 अगस्त से 15 सितंबर के बीच आयोजित की जाएंगी। अगर चल रही कोविड-19 महामारी की पृष्ठभूमि को देखते हुए माहौल कुछ अनुकूल होता है तो परीक्षा आयोजित की जाएगी।
गौरतलब है कि 12वीं कक्षा की परीक्षाएं कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण रद्द कर दी गई हैं। अभिभावकों के एक संघ और छात्रों ने 12वीं कक्षा के परिणामों के लिए मूल्यांकन संबंधी सीबीएसई और आईसीएसई की योजनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इसके कई उपनियम मनमाने हैं। वे छात्रों के भविष्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे।सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई और आईसीएसई को सोमवार को निर्देश दिया था कि वे 12वीं कक्षा के छात्रों के मूल्यांकन के लिए तैयार किए गए फॉमूर्ले पर कुछ छात्रों और अभिभावकों द्वारा उठाई गई चिंताओं को लेकर जवाब दें।
(Disclaimer: यह खबर सीधे समाचार एजेंसी की सिंडीकेट फीड से पब्लिश हुई है। इसे लोकतेज टीम ने संपादित नहीं किया है।)
 
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