यूपी को मिली देश की सबसे पहली एसी इकोनोमी कोच, जानें क्या है खासियत

यूपी को मिली देश की सबसे पहली एसी इकोनोमी कोच, जानें क्या है खासियत

कम होगी वेटिंग टिकट वालों की दिक्कत, किराया भी हो सकता है कम

देश की सबसे पहली एसी इकोनोमी क्लास की बोगी को यूपी और महाराष्ट्र की ट्रेनों में लगाने के लिए भेज दिया गया है। रेल कोच फेक्टरी कपूरथला से 15 बोगियों का पहला रैक रवाना कर दिया गया है। जिसमें से 10 बोडियान प्रयागराज, आगरा और झांसी रेल मंडल वाले उत्तर-मध्य रेलवे को तथा पाँच बोगियाँ पश्चिमी रेल को दी जाएगी। जल्द ही इन बोगियों का इस्तेमाल यूपी की ट्रेनों में शुरू किया जाएगा। 
ट्रेन में इन बोगियों के इस्तेमाल से वेटिंग लिस्ट में पड़े कई यात्रियों की टिकट कन्फ़र्म हो सकेगी और साथ ही किराये में भी कमी होने की संभावना है। बता दे की अब तक देश में मात्र एलएचबी तकनीक की बोगियों का इस्तेमाल किया जाता था। जिसमें एसी थर्ड में 72 और पुरानी बोगियों में 64 सीट होती है। रेल कोच फेक्टरी कपूरथला ने मात्र तीन महीने में इसका प्रोटोटाइप तैयार कर लिया। ट्रायल करने के लिए आरडीएसओ ने दक्षिण रेलवे और राजस्थान के कोटा रेल मंडल में मार्च महीने में इसका ट्रायल किया था। ट्रायल सफल होने के बाद इसे दिल्ली भेजा गया, जहां रेल संरक्षा आयुक्त ने इसके मानकों को परखा। जिसके बाद उनकी अनुमति मिलने के बाद फेक्टरी ने पहले रैक का निर्माण शुरू किया था। 
(Photo Credit : jagran.com)
सोमवार को फेक्टरी के जनरल मैनेजर रवीन्द्र गुप्ता और प्रिन्सिपल चीफ मैकेनिकल इंजीनियर आर के मंगला ने इन बोगियों को रवाना किया। इन बोगियों में यात्रियों की सुविधा के अनुसार दोनों तरफ की सीटों पर फोल्डिंग टेबल और बोतल होल्डर दिये गए है। इसके अलावा मोबाइल फोन होल्डर और मैगजीन होल्डर भी दिये गए है। कोच में हर बर्थ के लिए अलग से मोबाइल चार्जिंग लाइट और रीडिंग लाइट के पॉइंट भी लगाए गए है।   प्रत्येक कोच में दिव्यांग लोगों की अनुकूलता के आधार से शौचालय भी तैयार किया गया है। 
फेक्टरी के जनरल मैनेजर रवीद्र गुप्ता ने बताया की यह दुनिया का सबसे सस्ता और सबसे बेहतरीन एसी यात्रा प्रदान करने वाला एसी इकोनोमी क्लास होगा। रवीन्द्र गुप्ता ने इसके उत्पादन के दौरान पड़ी तकलीफ़ों की बात करते हुये कहा की लोकडाउन के कारण मात्र पचास प्रतिशत स्टाफ के साथ प्रोडकशन चलना पड़ा। इसके अलावा देश के कई हिस्सों में लोकडाउन होने के कारण समान की आपूर्ति का भी बड़ा प्रश्न बना रहा। हालांकि इसके बावजूद भी आरसीएफ़ प्रशासन और कर्मचारियों ने पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य किया। 
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