शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद व विकृत कर रहे हैं कुछ लोग : सुप्रीम कोर्ट

शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद व विकृत कर रहे हैं कुछ लोग : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कर्नाटक सरकार की उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें 2016 में दर्ज पीयू के प्रश्न पत्र लीक मामले में मुख्य आरोपी को जमानत दिए जाने को चुनौती दी गई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मध्य प्रदेश के करोड़ों रुपये के व्यापम घोटाले का हवाला दिया।

नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कर्नाटक सरकार की उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें 2016 में दर्ज पीयू के प्रश्न पत्र लीक मामले में मुख्य आरोपी को जमानत दिए जाने को चुनौती दी गई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मध्य प्रदेश के करोड़ों रुपये के व्यापम घोटाले का हवाला दिया। चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता में जस्टिस ए.एस. बोपन्ना और जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा कि "हम एक संदेश देना चाहते हैं। ये लोग शिक्षा प्रणाली को बर्बाद कर रहे हैं। हम जानते हैं कि बिहार में क्या हुआ, व्यापम मामले में मध्य प्रदेश में क्या हुआ। हम उन मामलों को लेकर आ रहे हैं, जहां शिक्षा प्रणाली विकृत हो रही है।"

गौरतलब है कि कर्नाटक सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में प्रश्न पत्र लीक मामले के मुख्य आरोपी शिवकुमारैया उर्फ गुरुजी को जमानत दे दी थी और एक अन्य आरोपी को बरी कर दिया था। गुरुजी नवंबर 2018 में कांस्टेबुलरी परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक का मुख्य आरोपी था और 2016 में कथित तौर पर पीयू पेपर लीक में भी शामिल था।  बहरहाल, मामले में एक संक्षिप्त सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक नोटिस जारी किया और मामले के अन्य आरोपियों को बरी किए जाने के आदेश पर रोक लगा दी।


[प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo : IANS)]


सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि "देरी की पुष्टि हुई। दो सप्ताह में नोटिस जारी करें। अगले आदेश तक हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेश के संचालन पर रोक रहेगी।"

अप्रैल 2016 में इस घोटाले के सामने आने के बाद गुरुजी को गिरफ्तार किया गया था। अक्टूबर 2017 में हाई कोर्ट ने उसे सशर्त जमानत दी थी और नियमित रूप से अदालत की सुनवाई में भाग लेने का निर्देश दिया था। पिछले साल नवंबर में वह अदालत में पेश नहीं हो सका और इसके कारण आरोप तय करने में विलंब हुआ। परिणामस्वरूप, उनकी जमानत रद्द कर दी गई, और कोर्ट ने उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया। 2 दिसंबर, 2020 को गुरुजी को गिरफ्तार कर लिया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

सेशंस कोर्ट ने उसकी जमानत को रद्द करने संबंधी राज्य सरकार की दलीलों पर विचार नहीं किया, क्योंकि हाई कोर्ट के समक्ष वही याचिका दायर की गई थी और खारिज कर दी गई थी। इसलिए राज्य सरकार ने गुरुजी की जमानत को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।