करवा चौथ : आज देश भर में विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखेंगी व्रत

करवा चौथ : आज देश भर में विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखेंगी व्रत

जानिए किस समय निकलेगा चांद और क्या है इस व्रत के पीछे की कहानी

उत्तर भारत में विवाहित स्त्री के जीवन में विशेष स्थान रखने वाले करवा चौथ व्रत का उत्तर भारतीय और राजस्थानी समुदाय में बहुत महत्व है। आज गुरुवार को देश भर में इसे पूरे विधि विधान से मनाया जाएगा। विभिन्न समुदायों, समाजों में पति-पत्नी की लंबी उम्र के लिए उपवास रखने की परंपरा दशकों से चली आ रही है।  गुजरात की महिलाओं में वट सावित्री व्रत का पालन किया जाता है, जबकि उत्तर भारत और राजस्थानी समुदाय की महिलाएं चौथ करती हैं। उत्तर भारतीय, राजस्थानी समुदाय की महिलाओं ने गुरुवार को करवा चौथ की तैयारी कर ली है।  दूसरी ओर, अब गुजराती महिलाओं में भी ऐसा करना आम हो गया है।

क्यों मनाया जाता है ये पर्व


आपको बता दें कि सुहागिन महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य का व्रत करवा चौथ सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि को रखा जाने वाला इस व्रत के अवसर पर इस साल विशिष्ट संयोग बन रहे हैं, जो इस व्रत का महत्व और बढ़ा रहा है। करवा चौथ के दिन चंद्र देव रोहिणी नक्षत्र में उदय होंगे। मान्यता है कि इस नक्षत्र में व्रत रखना बेहद शुभ होता है। इस नक्षत्र में चंद्र देव के दर्शन से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।

क्या है करवा चौथ मनाने की कहानी


पौराणिक कथा के अनुसार, करवा नाम की पतिव्रता स्त्री थी। जिसके पति को एक दिन नदी में स्नान करते समय एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ा लिया। पत्नी करवा ने अपने पति के पास पहुंचकर अपने तपोबल से उस मगरमच्छ को बांध दिया। फिर करवा मगरमच्छ को लेकर यमराज के पास पहुंची। जहां करवा ने को यमराज ने अपनी शक्ति से उस मगरमच्छ को मृत्युदंड देने की बात कही। यम के मना करने पर करवा ने  यमराज को मृत्युदंड देने की बात कहने लगी। पास खड़े चित्रगुप्त सोच में पड़ गए। उन्होंने मगर को यमलोक भेज दिया और उसके पति को चिरायु का आशीर्वाद दे दिया। साथ ही चित्रगुप्त ने करवा को आशीर्वाद दिया कि तुम्हारा जीवन सुख-समृद्धि से भरपूर होगा।

इसलिए पड़ा ये नाम, द्रोपदी ने भी किया था व्रत


उस दिन कार्तिक मास की चतुर्थी होने के कारण करवा और चौथ मिलने से इसका नाम करवा चौथ पड़ा। इसके अलावा भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने भी इस व्रत को किया था, जिसका उल्लेख वारह पुराण में मिलता है।

कब होगा चंद्रोदय


महाराज किरीदत्त शुक्ल ने कहा, गुरुवार को रात 8.41 बजे तक कृतिका नक्षत्र और फिर चंद्रोदय के समय रोहिणी नक्षत्र रहेगा। दोपहर 1.54 बजे तक सिद्धि योग और फिर व्यतिपात योग है।  कौलवकरण का आयोजन देर शाम छद्रोदय के समय होगा।  चंद्रोदय अदाजन रात 8.50 बजे होगा।  इसी दिन वक्रतुंड संकट चतुर्थी मनाई जाएगी।
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