यह सर्वे का नतीजा है; 69 प्रतिशत पुरुष मानते हैं कि पत्नी को जाति संबंध नकारने का अधिकार होता है!

यह सर्वे का नतीजा है; 69 प्रतिशत पुरुष मानते हैं कि पत्नी को जाति संबंध नकारने का अधिकार होता है!

शिक्षण के बढ़ते हुये प्रमाण के बावजूद महिलाओं के साथ होने वाले जातीय अत्याचारों में नहीं आया है अधिक बदलाव

शादी के बाद पति-पत्नी का जीवन एक दूसरे के आधारित हो जाता है। दोनों को एक दूसरे के सुख और दुख का ख्याल और विचार कर के ही अपना जीवन आगे बढ़ाना होता है। हालांकि पति और पत्नी के बीच कई बार एक दूसरे के साथ शारीरिक संबंध के चलते मतभेद होते है। इसके अलावा महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों के मामले अभी भी खतम नहीं हो रहे है। ऐसे में नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) की एक रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले नतीजे सामने आए है। 
शादी के बाद महिलाओं को जातीय संबंध स्थापित करने को लेकर मना करने के अधिकार को लेकर NFHS के सर्वे में सामने आया कि 78 प्रतिशत महिला और 69 प्रतिशत पुरुषों का कहना है कि परिणित महिल पति के साथ संबंध बनाने को लेकर मना करने का पूरा हक है। ससाल 2015-16 के सर्वे के मुक़ाबले इस बार के सर्वे में यह मानने वाले लोगों की संख्या काफी बढ़ गई है, जो यह सोचती है कि संबंध बनाने के लिए मना करने के पूरा हक है।
इसका समर्थन करने वाले पुरुषों की संख्या में मामूली वृद्धि हुई है। हालांकि गुजरात इस मामले में महाराष्ट्र से पीछे है। महाराष्ट्र में 86 फीसदी महिलाओं और 76 फीसदी पुरुषों का मानना ​​है कि एक पत्नी को शादी के दौरान सेक्स करने से मना करने का अधिकार है। वहीं गुजरात में 75 प्रतिशत पुरुषों का मानना ​​है कि अगर पत्नी मना कर देती है, तो इस समय पति को उससे नाराज़ होने या उससे झगड़ा करने या उसकी आर्थिक मदद रोकने या उसे विवाहेतर संबंध बनाने के लिए मजबूर करने की कोई ज़रूरत नहीं है। हालांकि 181 महिला हेल्पलाइन से जुड़ी एक महिला कर्मचारी का कहना है कि सर्वे में पत्नी की यौन संबंधों की इच्छा को लेकर जो कहा गया है वह हकीकत से काफी अलग है। महिलाएं बहुत कुछ सहती हैं, वे तभी हेल्पलाइन को फोन करती है, जब उनकी सहनशक्ति से बात काफी आगे बढ़ गई हो। 
गुजरात में एनएचएफएस-5 के सर्वे में 33.343 महिलाओं का सर्वे किया गया है। इनमें से 18 से 49 वर्ष की आयु की 13 प्रतिशत महिलाओं ने शारीरिक हिंसा का अनुभव किया है। जबकि 3 प्रतिशत महिलाओं ने यौन हिंसा का अनुभव किया है। 14% महिलाओं को दोनों का सामना करना पड़ता है। सर्वेक्षण से यह भी पता चलता है कि समाज में शादी के दौरान महिलाएं शारीरिक और यौन हिंसा की शिकार होती हैं। शिक्षा इस संबंध में कोई बदलाव नहीं ला पाई है। यह 25 से 39 वर्ष की आयु की महिलाओं में 3.8 प्रतिशत मामलों में पाया जाता है। शहरी क्षेत्रों में यह अनुपात 3% और ग्रामीण क्षेत्रों में 3.7% है। यह स्थिति उच्च शिक्षित वर्ग के 2.8 प्रतिशत में पाई जाती है। जिसके विरुद्ध कम पढ़े-लिखे वर्ग में स्थिति 3.1 प्रतिशत है। 

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