इलेक्ट्रिक व्हीकल ऑनलाइन ख़रीदने के चक्कर में मत पड़ना, जानें क्या कांड चल रहा है

फर्जी वेबसाइट बनाकर लोगों को लूट रहे हैं हैकर्स, बिलकुल असली जैसा वेबसाइट बनाकर ग्राहकों को देते है आकर्षण स्कीम

आज का समय तकनीक और प्रौद्योगिकी का है पर इस समय इनका उपयोग अच्छे उद्देश्यों से अधिक दुरुपयोग के लिए किया जा रहा है।  मानव जाति की भलाई के लिए उपयोग होने वाला तकनीक आज के समय साइबर क्राइम, हैकिंग और साइबर बुलिंग के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। एक तरफ जहाँ लोग तकनीक और के सहारे दुनिया में कोई लाभदायक परिवर्तन लाना चाहते है वहीं कुछ अनैतिक लोग इसके सहारे लोगों को लूट रहे है। भारत सरकार कच्चे तेल के आयात बिल और प्रदूषण को कम करने के लिए बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रही है। ऐसे बिजली से चलने वाले गाड़ियों को खरीदने पर उपभोक्ताओं को सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी समेत कई तरह के फायदे दिए जा रहे हैं। इसके बावजूदगोरखधंधा करने वाले और लोगों को लूटने वाले उपभोक्ताओं की मासूमियत का फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
आपको बता दें कि फर्जीवाडा चलाने वाले हैकर्स इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी के नाम पर वेबसाइट बनाकर भारतीय उपभोक्ताओं को ठग रहे हैं। एक शोध से पता चला है कि इलेक्ट्रिक वाहन विक्रेताओं और उपभोक्ताओं को लक्षित करने वाली सर्च एजेंसी गूगल एड के जरिए भारत में कई तरह के फिशिंग कैंपेन चलाए जा रहे हैं। अनुमान है कि धोखाधड़ी में भारतीयों से करीब चार से आठ करोड़ रुपये का गबन किया गया। एक सुरक्षा फर्म क्लाउडएके ने ऐसे ही एक फर्जीवाड़े अभियान को उजागर करते हुए बताया कि ऐसे लोग फर्जी वेबसाइटों पर इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए Google विज्ञापन का उपयोग करता था।
इस ठगी में पूरी प्रक्रिया के बारे में बात करें तो  घोटाले में शामिल लोग संभावित ग्राहकों को गूगल विज्ञापन के माध्यम से आकर्षित ऑफर के साथ इलेक्ट्रिक वाहन फ़िशिंग साइट यानी  एक फर्जी वेबसाइट पर ले जाते हैं। ये लोग हैं SEO यानी सर्च इंजन अनुकूलन से भी बचा जाता है, जिसका अर्थ है कि इंटरनेट पर कंपनी की खोज करते समय फर्जी वेबसाइटों को वास्तविक वेबसाइटों की तुलना में अधिक प्राथमिकता दी जाती है।  इन फर्जी वेबसाइटों के लिए Google विज्ञापनों के शीर्ष पर खोज इंजन अनुकूलन के लिए दिखाई देती हैं।  जब ग्राहक ऐसे Google विज्ञापन पर क्लिक करते हैं, तो विज्ञापन उन्हें एक फ़िशिंग डोमेन, एक फ़र्ज़ी वेबसाइट पर ले जाता है।  फर्जी वेबसाइट बिल्कुल कंपनी की असली कंपनी की तरह दिखती है - ऐसी फर्जी वेबसाइट द्वारा इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी की फर्जी वेबसाइट पर ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए सोशल मीडिया पेज भी बनाए गए हैं।  
गौरतलब है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें 100 रुपये प्रति लीटर को पार करने के साथ, भारतीय लोगों की रूचि अब धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ रही हैं। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, भारत में इलेक्ट्रिक वाहन बाजार का आकार 16.08 अरब होने का अनुमान है और 9% की औसत वार्षिक दर से 2030 के अंत तक 16.12 अरब तक पहुंचने का अनुमान है।