आज विश्व रेडियो दिवस है; आपको पता है 1975 के दौर में रेडियो के लिए भी लाइसेंस लेना पड़ता था!?

आज विश्व रेडियो दिवस है; आपको पता है 1975 के दौर में रेडियो के लिए भी लाइसेंस लेना पड़ता था!?

13 फरवरी यानी कि आज दुनिया भर में विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है। पुराने समय में किसी भी विचारों के आदान-प्रदान के लिए तथा बोरियत से बचने के लिए मनोरंजन के साधन के तौर पर रेडियो का एक अलग ही महत्व था। हालांकि जैसे-जैसे तकनीक बढ़ती गई वैसे-वैसे टीवी और मोबाइल आए तथा रेडियो का इस्तेमाल पहले से कम हो गया। हालांकि आज भी कई लोग रेडियो का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में आज हम इससे जुड़ी एक आश्चर्यजनक बात आपके साथ साझा करने जा रहे हैं।
साल 1975 के समय में रेडियो के रखने के लिए लाइसेंस भी लेना पड़ता था। जी हां सुनने में अजीब लगने वाली यह बात पूरी तरह से सच है। कई रेडियो प्रेमी लोगों ने वह लाइसेंस आज भी संभाल कर रखे हैं। पहले के समय में जब दुनिया भर में किसी भी विचारों का आदान प्रदान करने के लिए और कोई साधन नहीं था, तब एक-दूसरे को जानकारी देने के लिए तथा लोगों को शिक्षित करने के लिए इस रेडियो ने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 
रेडियो के माध्यम से कई प्राकृतिक तथा मानव निर्मित आपदाओं के दौरान भी लोगों की जान बचाने में काफी सहायता मिलती थी। पत्रकारों के लिए भी रेडियो एक बड़ा प्लेटफार्म था। हालांकि आज रेडियो का इस्तेमाल उतना ज्यादा नहीं रह गया है। पर फिर भी कई लोग है, जो इस बदले हुये जमाने में रेडियो का इस्तेमाल करते है।
भारतीय तार अधिनियमन 1885 के अंतर्गत पहले रेडियो रखने के लिए भी लोगों को लाइसेंस दिया जाता था। लाइसेंस लेने वाला व्यक्ति ही रेडियो खरीद था और सुन सकता था। सूरत के रहने वाले एक शख्स गनेशीलाल शर्मा ने बताया कि उन्होंने 1968 से यह लायसंस खरीदा था। यही नहीं उनके दादा के पास भी ऐसे तीन लायसंस थे। हालांकि आज के समय में रेडियो का चलन काफी कम हो गया है परंतु उसका महत्व आज भी जरा सा कम नहीं हुआ आज भी कई लोग जो नहीं रेडियो सुनते हैं तथा कई लोग उसका एंटीक चीज के तौर पर इस्तेमाल करते हैं
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