प्रेरणादायक कहानी : दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है बेटा, बाहर नहीं मिली तो पिता ने घर में बना ली दवाई. महज छः हफ़्तों में तैयार की दवा की खुराक

प्रेरणादायक कहानी : दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है बेटा, बाहर नहीं मिली तो पिता ने घर में बना ली दवाई. महज छः हफ़्तों में तैयार की दवा की खुराक

चाइना का है ये मामला, कोरोना के कारण देश की सीमाएं है बंद, बेटे को दिन बा दिन मरता नहीं देख सका तो घर में ही तैयार कर डाली दवा

एक बच्चे के लिए उसका पिता उसका पहला हीरो होता है। बच्चा ऐसा मानता है कि अगर उसके पिता उसके साथ है तो उसे हर एक चीज मिल जाएंगी जिसकी उसने कल्पना की हो। एक पिता अपने बच्चे के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाता है। हाल ही में चीन से सामने आए एक मामले ने इस बात कोई सही साबित कर दिया है।
दरअसल चीन में एक पिता ने एक दुर्लभ बीमारी से ग्रसित अपने बेटे को बचाने के लिए घर पर ही दवा बना डाली। दरअसल चीन में कोरोनावायरस के कारण देश की सीमाएं बंद हैं। ऐसे में एक असहाय पिता अपने बेटे को इलाज के लिए दूसरे देश में नहीं ले जा सकता। साथ ही वो अपने बेटे को दिन बा दिन मरता नहीं देख सकता था इसलिए उन्होंने अपने पिता के जिम में एक प्रयोगशाला स्थापित की।
आपको बता दें कि चीन के दो साल के होयांग के पास कुछ महीने ही थे। होआंग की दुर्लभ स्थिति लाखों में किसी एक बार होती है। होआंग मैंक्स सिंड्रोम से पीड़ित हैं। यह रोग रक्त में शरीर के तांबे के स्तर को प्रभावित करता है और मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के विकास को भी रोकता है। उसके पिता शू वेई के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था। ऐसे में पिता शू ने अपने बेटे के लिए दवा बनाने के लिए फार्मास्यूटिकल्स का अध्ययन शुरू किया और फिर घर पर एक प्रयोगशाला बनाई। होआंग की बीमारी का कोई इलाज नहीं है।  केवल एक ही दवा इस बीमारी के प्रभाव को कम कर सकती है और यह चीन में नहीं पाई जाती है।  इसलिए शू ने शोध करना और दवा बनाना सीखना शुरू किया। शू के लिए चुनौती यह थी कि बीमारी के बारे में सारी जानकारी अंग्रेजी में थी, शू ने सब कुछ चीनी में बदल दिया।
(Photo Credit : divyabhaskar.co.in)
हालांकि  शुआ के परिवार ने सोचा कि यह काम असंभव है, लेकिन शुआ ने सिर्फ 6 हफ्तों में ये दवा बना ली। उन्होंने इस दवा को चूहों और खुद पर आजमाया। इसके कोई साइड इफेक्ट न दिखने पर उन्होंने अपने बेटे को दवा दी। वह वर्तमान में होयांग को घरेलू दवा की दैनिक खुराक देते हैं और इससे उसके स्वास्थ्य में काफी सुधार हुआ है। शू वेन अपने बेटे के साथ अकेले रहते हैं, उनकी पत्नी और 5 साल की बेटी दूसरे शहर में रहती है।  कोरोना की महामारी सामान्य होने के बाद शू अपने बेटे को इलाज के लिए दूसरे देश ले जायेंगे।  फिलहाल इसके पास घरेलू दवा के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। दवा बीमारी का दीर्घकालिक समाधान नहीं है, लेकिन इसके कमसेकम शू के बेटे को बचाने की उम्मीद तो बनी हुई है।