शिक्षित महिलाओं में बढ़ रही है शादी के पहले बच्चों को जन्म देने की इच्छा, स्टडी में सामने आया नया तारण

शिक्षित महिलाओं में बढ़ रही है शादी के पहले बच्चों को जन्म देने की इच्छा, स्टडी में सामने आया नया तारण

30 साल की उम्र के बाद भी 18 से 27 प्रतिशत महिलाएं रही है अविवाहित, पढ़ाई के दौरान ली हुई लोन और अन्य खर्चों से निपटने के लिए देरी से परिवार शुरू करने पर ज़ोर दे रही है महिलाएं

आम तौर पर कोई भी कपल शादी के बाद ही बच्चे के बारे में सोचता है। पर पिछले कई समय से इस बारे में शिक्षित महिलाओं की सोच बदल रही है, ऐसा एक स्टडी में सामने आया है। जोन्स होपकिंस यूनिवर्सिटी के संशोधकों ने की इस स्टडी में सामने आया कि 90 के दशक में इस तरह की बात के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। पर आज के जमाने में शिक्षित महिलाओं में यह बदलाव देखने मिल रहा है। 
जोन्स होपकिंस यूनिवर्सिटी के संशोधक एंड्रयू शेर्लिन ने इस बारे में जानकारी देते हुये कहा कि शिक्षित महिलाओं में शादी के पहले पहले बच्चे के जन्म की वृति देखि जा रही है। दूसरे बच्चे के जन्म के बाद या उसके पहले महिलाओं में शादी करने की वृत्ति देखी जा रही है। महिलाएं शादी के बाद बच्चों को रखने की कम इच्छा रखती है। एंड्रयू ने कहा 30 साल की उम्र के बाद 18 से 27 प्रतिशत महिला अविवाहित थी, जबकि इसके पहले उनके पहले बच्चे का जन्म हो चुका था। 
यह स्टडी प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडेमी ऑफ सायंस में प्रकाशित हुई थी। इस स्टडी के अनुसार महिलाएं स्नातक होने के पहले ही अपने पहले बालक के बारे में सोचने लगती है। इसके बाद परिवार शुरू करने के लिए शादी करती है। एंड्रयू शर्लिन ने इस स्टडी के लिए तीन प्रमुख सर्वे का इस्तेमाल किया है, नेशनल लोंगीट्यूडीनल सर्वे ऑफ यूथ, नेशनल लोंगीट्यूडीनल सर्वे ऑफ एडोलेसेंट टू एडल्ट हेल्थ, नेशनल सर्वे ऑफ फेमिली ग्रोथ। इस स्टडी से जानने मिला है कि सभी तरह के एज्युकेशन लेवल पर महिलाओं ने विकास किया है। 
एंड्रयू शर्ली ने कहा कि इन सबके पीछे की वजह आर्थिक समस्याएं हो सकती हैं। शादी या परिवार शुरू करने के लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता हो सकती है। कॉलेज के कर्ज और कमाई और आजीविका के सीमित स्रोतों के कारण परिवार बनाने में लंबा समय लगता है। यही कारण है कि सिंगल पैरेंट कल्चर बढ़ रहा है।  युवा पीढ़ी से कहा जाता है कि वे तब तक शादी न करें जब तक कि वे आर्थिक रूप से मजबूत न हों। एंड्रयू शर्लिन का कहना है कि कम पढ़ी-लिखी महिलाएं भी अपने सपने पूरे न होने पर शादी से परहेज करती हैं। इस प्रकार की संस्कृति शिक्षित महिलाओं में अधिक प्रचलित है
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