पर्यावरण दिवस विशेष : दुनिया का जलवायु परिवर्तन अपने पीक पोइंट से 5 वर्ष ही दूर है!

पर्यावरण दिवस विशेष : दुनिया का जलवायु परिवर्तन अपने पीक पोइंट से 5 वर्ष ही दूर है!

साल 2021 से 2025 हो सकते है सबसे अधिक गरम साल, वैश्विक तापमान में हो सकती है 1.5 डिग्री की वृद्धि

आज 5 जून, विश्वभर में पर्यावरण दिवस के तौर पर मनाया जाता है। ऐसे में मनुष्य द्वारा पर्यावरण की जो दुर्गति की जा रही है उसके बारे में हमे वाकई सोचने की जरूरत है। दुनिया भर में ग्लोबल वोर्मिग के कारण गर्मी का पारा रिकॉर्ड तोड़ रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि साल 2021 से 2025 सबसे ज्यादा गर्मी वाला साल होगा। पूरे विश्व के तापमान में 1.5 डिग्री जितना तापमान बढ्ने की संभावना है, जो की साल 2016 के गर्मी के रिकॉर्ड भी पीछे छोड़ देगा। बढ़ते तापमान के कारण लू, भारी बारिश और पानी की कमी जैसी समस्याएं सामने आएगी। यह दावा विश्व मौसम विज्ञान संगठन की एक रिपोर्ट में अमेरिका और चीन समेत दुनिया भर के 10 देशों के वैज्ञानिकों ने किया है। 
पिछले दशक में 1.5 डिग्री तापमान वृद्धि की संभावना केवल 20% थी, लेकिन एक नई रिपोर्ट में यह बढ़कर 40% हो गई है। यदि ऐसा होता है, तो यह 2015 के पेरिस जलवायु समझौते में निर्धारित तापमान से ऊपर उठना जारी रखेगा। मौसम वैज्ञानिक लियोन हर्मनसन का कहना है कि दुनिया का तापमान 1.5 डिग्री बढ़ने वाली है। इसे रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के महासचिव प्रोफेसर पेट्री तालास के अनुसार, बढ़ते तापमान के कारण बर्फ पिघलेगी और समुद्र का स्तर बढ़ेगा। इससे वातावरण में बड़ा बदलाव आएगा। इसका असर भोजन, स्वास्थ्य, पर्यावरण और विकास पर देखने को मिलेगा। 
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सतर्क रहने का समय है। दुनिया भर में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए काम करने की जरूरत है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की करीब एक चौथाई आबादी दक्षिण एशिया में रहती है। यह क्षेत्र पहले से ही अत्यधिक गर्मी से जूझ रहा है। ऐसे में बढ़ता तापमान एक बड़ा जोखिम हो सकता है। इस क्षेत्र के लगभग 60% लोग कृषि में शामिल हैं। उन्हें खुले मैदान में काम करना पड़ता है, जिससे की उन्हें लू लगने का खतरा बना रहता है। बता दे की साल 2015 में 30 नवंबर से 11 दिसंबर तक 195 देशों की सरकारें पेरिस, फ्रांस में मिलीं थी। जहां सभी सरकार ने दुनिया भर में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य रखा, ताकि वैश्विक तापमान में 2 डिग्री की गिरावट आ सके।
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