एक और समस्या; अब म्युकोर मायकोसिस के इलाज में काम आने वाले इंजेक्शन की हो गई किल्लत

एक और समस्या; अब म्युकोर मायकोसिस के इलाज में काम आने वाले इंजेक्शन की हो गई किल्लत

कोरोना संक्रमण के दौरान म्यूकोरमाइकोसिस के मामलों ने खड़ी की नई समस्या`

वर्तमान में देश के सभी राज्य कोरोना की दूसरी लहर के चपेट में हैं। देश भर की स्थिति बहुत गंभीर हैं। हर गुजरते दिन के साथ कोरोना संक्रमित मामलों की स्थिति भयवह होती जा रही हैं। आलम ये हैं कि संक्रमित मरीजों को अस्पतालों में बिस्तर, दवाइयों और ऑक्सीजन की भारी कमी देखी जा रही हैं। इस कारण हर दिन मरने वालों की संख्या बढ़ रही हैं। ऐसे में कोरोना से संक्रमित गुजरात सहित देशभर में कोरोना संक्रमण के दौरान एक नई बीमारी म्यूकोरमाइकोसिस के मरीज देखने के कारण नई समस्या खड़ी हो गई है।
ऐसे कई मामले सामने आए है जहाँ कोरोना से ठीक होने के बाद मरीज म्यूकोरमाइकोसिस बीमारी के चपेट में आ गया हैं। इस प्रकार के रोग में मरीज का नाक बंद हो जाता है। नाक के आसपास सूजन आ जाती है चेहरे पर सूजन और कभी-कभी बुखार आता है। जिन्हे पहले से बिमारी हो उन्हें इसका इंफेक्शन तेजी से लग सकता है। ऐसे में कोरोना संक्रमण और म्यूकोरमाइकोसिस के बढ़ने के साथ ही दवाओं की भारी कमी के बीच कालाबाजारी भी हो रही है।
आपको बता दें कि म्यूकोरमाइकोसिस के अचानक बढ़ जाने के बाद इसके लिए उपयोगी इंजेक्शन की भारी कमी देखी जा रही हैं। इस बीमारी में मरीज को अम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन दिया जाता हैं। ऐसे में म्यूकोरमाइकोसिस के मामले बढ़ने के साथ ही कोरोना काल में अन्य इंजेक्शन रेमेडेसिविर और टोसिलिज़ुमेब की ही तरह अम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन की भी भारी कमी देखी जा रही हैं। सामने आए मामलों के अनुसार जिन लोगों में कोरोना के अतिरिक्त मधुमय, साँस संबंधी रोग या अन्य बड़ी बीमारी हो उनके म्यूकोरमाइकोसिस से संक्रमित होने के संभावना सबसे अधिक हैं। म्यूकोरमाइकोसिस में एक रोगी को 120-150 इंजेक्शन देने पड़ रहे हैं। ऐसे में बाजार में म्यूकोरमाइकोसिस पर असरकारक अम्फोटेरिसिन बी की भारी अछत देखी जा रही हैं। हालांकि अम्फोटेरिसिन बी की कालाबाजारी को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।