आखिर क्यों संपन्न परिवारों में पहली पुत्री के बाद पुत्ररत्न की प्राप्ति होती है, जानें क्या है शोध

आखिर क्यों संपन्न परिवारों में पहली पुत्री के बाद पुत्ररत्न की प्राप्ति होती है, जानें क्या है शोध

ग्राम्य विस्तारों के मुक़ाबले शहर में दूसरे संतान के लड़का होने की संभावना अधिक

किसी भी दंपत्ति को पुत्र होगा या पुत्री यह कोई भी नहीं बता सकता। हालांकि एक अभ्यास में एक चौंका देने वाला तारण बाहर आया है। इसके अनुसार यदि पैसे से संपन्न परिवार में पहली संतान पुत्री हो तो दूसरी या तीसरी संतान अवश्य ही पुत्र होता है। हालांकि गरीब घरो में ऐसा नहीं होता है। शहर में पैसे से संपन्न और गांवो में जिनके पास काफी जमीन हैं उनके साथ भी ऐसा देखने मिलता है। 
यूनिवर्सिटी ऑफ केलिफोर्निया द्वारा संयुक्त तौर पर किया गया संशोधन
यह संशोधन भारत के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पोप्यूलेशन साइन्स और यूनिवर्सिटी ऑफ केलिफोर्निया द्वारा किया गया है। जिसमें साल 2005 से लेकर 2016 यानि की 11 साल के डाटा का इस्तेमाल किया गया है। इसमें 5.53 लाख बालकों के डाटा का इस्तेमाल किया गया है। जिस पर से परिणाम मिला है की आम तौर पर भारत में 100 लड़कियों पर 105 से 112 लड़कों का जन्म होया है। 
इसके अलावा जो डाटा सामने आया है उसके अनुसार जब संतान दूसरा, तीसरा या चौथे नंबर पर हो तो संतान के लड़का होने की संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती है। इस समय में जो डाटा कलेक्ट किया गया है उसके अनुसार पहला संतान हो ऐसे किस्सों में 100 लड़कियों पर 107.5 लड़के होते थे। वही दूसरे या तीसरे संतान के किस्से में यह प्रमाण 100 लड़कियों पर 123 लड़को का था। 
लिंग परीक्षण हो सकता है बड़ा कारण
इसके अलावा देश के अलग अलग भागो में इस प्रमाण में काफी बड़ा अंतर है। उत्तरभारत में जहां दूसरे संतान के बाद 100 लड़कियों ओर 116 लड़कों का जन्म होता हैं। तो पश्चिम भारत में यह आंकड़ा 111.6 का है। वही मध्यभारत में यह आंकड़ा 109, दक्षिण भारत में 107 और उत्तरपूर्व में यह आंकड़ा 105 है। इसके अलावा शहरों में यह आंकड़ा 111.4 तो ग्राम्य विस्तार में यह आंकड़ा 108.8 का है। 
अब यहाँ सवाल यह है की लड़के और लड़की के जन्म के प्रमाण में इतना फर्क कैसे आता है। जानकारों का कहना है कि यह तभी संभाव है जब गर्भवती स्त्री का सेक्स डिटरमिनेशन टेस्ट यानि कि लिंग परीक्षण करवाया जाए। हालांकि इसके लिए पुलिस द्वारा सख्त कदम भी उठाए जाते है और कई बार सोनोग्राफी सेंटर्स को सील भी किया जाता है। इन सभी तरह के गैरकानूनी टेस्ट करवाने के लिए बड़ा चार्ज भी देना पड़ता है। जिसे पैसो से संपन्न लोग ही दे पाते है। 
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