एक शोध में हुआ चौकने वाला खुलासा; इस समय पर धरती से ख़त्म हो जाएगा जीवन, सिर्फ बैक्टीरिया करेंगे राज

एक शोध में हुआ चौकने वाला खुलासा; इस समय पर धरती से ख़त्म हो जाएगा जीवन, सिर्फ बैक्टीरिया करेंगे राज

सूर्य की बढ़ती उम्र के कारण होने वाले बदलाव से होगा पृथ्वी पर जीवन का अंत

एक तरफ तो वैज्ञानिक मंगल और चंद्रमा पर जीवन की तलाश कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर इसी धरती पर हो रहे जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग से दुनिया के खत्म होने का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में हाल ही में किए गए एक शोध से सामने आए परिणाम ने भयभीत करने वाले नतीजे दिखाइए है। दरअसल इस रिसर्च के अनुसार एक समय ऐसा आएगा जब पृथ्वी पर सांस लेने के लिए ऑक्सीजन ही नहीं बचेगा और आक्सीचजन के बिना पृथ्वी  पर जीवन समाप्त  हो जाएगा।
100 करोड़ वर्षों के बाद खतम नाटकीय रूप से घट जाएगा ऑक्सिजन का स्तर
आपको बता दें कि धीरे धीरे ऑक्सीजन कम हो रहा है और भविष्य में पृथ्वी से ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम होगी। ऐसे में पृथ्वी पर कोई जीवित चीजें नहीं रह पाएंगी। वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी पर ऑक्सीजन का स्तर 100 मिलियन वर्षों के बाद नाटकीय रूप से घट जाएगा। जो जटिल एरोबिक जीवों और प्रकाश संश्लेषक जीवों के जीवन को खतरे में डाल देगा। ऐसे में इनका विलुप्त होने का खतरा बहुत अधिक हो जाएगा। ऑक्सीजन पृथ्वी के वायुमंडल का लगभग 21 प्रतिशत बनाती है। मनुष्यों जैसी जटिल संरचनाओं वाले जीवों के लिए ऑक्सीजन की उपस्थिति बहुत आवश्यक है, लेकिन पृथ्वी की शुरुआत में ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम था। यह स्थिति 100 करोड़ वर्षों के बाद भविष्य में फिर से होगी।
जापान में तोहो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक और काज़ुमी ओजाकी, जापान के अटलांटा में जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के क्रिस रेइनहार्ट ने पृथ्वी की जलवायु जैविक और भूवैज्ञानिक प्रणाली का एक मॉडल विकसित किया है। इसके साथ वे पृथ्वी पर भविष्य के वायुमंडलीय परिवर्तनों की गणना कर रहे हैं। दोनों वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी का ऑक्सीजन स्तर अगले 100 मिलियन वर्षों तक वैसा ही रहेगा जैसा कि अभी है। लेकिन इसके ठीक बाद ऑक्सीजन के स्तर में भयानक गिरावट आएगी। वायुमंडल में ऑक्सीजन मौजूद नहीं होगी।
सूरज की उम्र है इसका कारण  
इसके पीछे बड़ा कारण सूरज की उम्र को बताया जाता है। जैसे-जैसे सूरज ढलता जाता है यह गर्म होता जाता है। सूर्य के गर्म होने से पृथ्वी पर मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) पर असर पड़ेगा। कार्बन डाइऑक्साइड घटने लगेगा। इससे सूरज की गर्मी कम करने की क्षमता कम हो जाएगी। फिर वायुमंडल टूटने लगेगा। यदि कार्बन डाइऑक्साइड कम हो जाता है, तो प्रकाश संश्लेषण नहीं हो सकेगा और इस पर आधारित जीव जीवित नहीं रह पाएंगे। वनस्पति को नष्ट होने से ऑक्सीजन का उत्पादन कम हो जाएगा। इस प्रकार ऑक्सीजन में भारी कमी आएगी। क्रिस का कहना है कि ये भयानक होगा और ऑक्सीजन का स्तर मौजूदा समय से लाखों गुना घट जाएगा।
बढ़ जाएगा मीथेन, बैक्टीरिया करेंगे राज
इतना ही नहीं, कज़ुमी ओजाकी और क्रिस रेइनहार्ड ने अनुमान लगाया है कि इस समय तक पृथ्वी के वातावरण में मीथेन गैस की मात्रा 10,000 गुना बढ़ जाएगी। जैसे ही पृथ्वी का वातावरण बदलना शुरू होगा, यह बहुत तेजी से होगा। 100 मिलियन वर्षों के बाद, अगले 10 हजार वर्षों में पृथ्वी से ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाएगा। काज़ुमी ओजाकी का कहना है कि जैवमंडल इस अचानक पर्यावरण परिवर्तन को बर्दाश्त नहीं कर पाएगा और तब पृथ्वी पर केवल सूक्ष्म जीव ही बचेंगे और ऐसे समय में एनएरोबिक और प्राचीन बैक्टीरिया पृथ्वी पर शासन करना शुरू कर देंगे। भूमि और समुद्र से जटिल जीवों का विनाश शुरू हो जाएगा।
कुछ ऐसे होंगे परिवर्तन
इसके साथ साथ ऑक्सीजन से बनी पृथ्वी की ओजोन परत नष्ट हो जाएगी। इससे भूमि और समुद्र तीव्र पराबैंगनी किरणों और सूरज की गर्मी के कारण बिगड़ जाएंगे। जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय के नताली एलन कहते हैं ऑक्सीजन कई रूपों में पृथ्वी पर उपलब्ध है। यह जीवन की शुरुआत से पृथ्वी पर है, लेकिन एक नए अध्ययन के अनुसार, पृथ्वी से ऑक्सीजन का स्तर कम हो सकता है और पृथ्वी हमेशा रहने योग्य नहीं होगी।
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