इलेक्ट्रिक कार क्रांति की दिशा में बढ़ रही दुनिया

इलेक्ट्रिक कार क्रांति की दिशा में बढ़ रही दुनिया

भारत में भी आने वाले समय में इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माता और चार्जिंग पोइंट्स विकसित करने वालों की तूती बोलने वाली है

वर्तमान इंटरनेट युग में कई व्यवसाय इतिहास बने गये हैं। स्मार्टफोन की ही बात करें तो वह टीवी, कंप्यूटर, समाचार-पत्र, घड़ियां, कैल्क्यूलेटर, सिनेमा जगत, बैकिंग, ट्रावेलिंग, पर्यटन, होटल-रेसंतरां आदि को मानो खाता चला जा रहा है। परंपरागत कारोबार ठप्प पड़ रहे हैं और नये व्यवसाय जन्म ले रहे हैं। इसी बदलती दुनिया में जो व्यक्ति समय के साथ चल रहा है उसका अर्थोपार्जन कायम है, जो परिवर्तन की दौड़ में पीछे छूट रहा है वह हाशिये पर फिसलता जा रहा है। 
इसी क्रम में ऑटो इंडस्ट्री की बात करें तो पेट्रोल और डिजल से चलने वाले वाहन आने वाले दिनों में कम होते चले जायेंगे और इनकी जगह बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक व्हीकल सड़कों पर दिखने लगेंगे। भारत में भले इस बदलावा कर रफ्तार कम नजर आती हो लेकिन वह इतनी भी धीमी नहीं है कि आदमी आंखें मूंद कर बैठ जाए। आपको बता दें कि भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल की क्रांति का आगाज हो चुका है और इस की शुरूआत दुपहिया वाहनों और सार्वजनिक परिवहन की बसों की श्रेणी में दिखने लगा है। इंफ्रास्ट्रक्चर की प्रारंभिक दिक्कतें हैं लेकिन अनुभव से इंडस्ट्री लगातार सीख ले रही है और सुधार होता जा रहा है। 
प्रतिकात्मक चित्र
आने वाला कल कैसा होगा इसका अनुमान हम यूरोप में हो रही इलेक्ट्रिक कार क्रांति से लगा सकते हैं। खबरों के मुताबिक क्लायमेट चैंज पर असरदार वार के उद्देश्य से ब्रिटेन में प्रशासनिक स्तर पर नीतिगत निर्णय लिये जाने लगे हैं। ब्रिटेन में यह फैसला लिया गया है कि 2030 तक पेट्रोल और डिजल से चलने वाली कारों की बिक्री पर संपूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जायेगा। सरकार ने इसके लिये 1500 करोड़ रूपये की एक योजना भी बनाई है। ब्रिटन में नये बनने वाली इमारतों में इलेक्ट्रिक कारों े लिये चार्जिंग पोइंट अनिवार्य कर दिये गये हैं। सुपर मार्केट, वर्क प्लेस और बिल्डिंग रिनोवेशन के समय इलेक्ट्रिक कार चार्जिंग पोइंट बनाने ही पड़ेंगे। एक अनुमान के मुताबिक ब्रिटन में हर वर्ष लगभग डेढ़ लाख नये चार्जिंग पोइंट बनेंगे। सरकार भी छोटे उद्यमियों को पर्यावरण के अनुकूल टेक्नोलोजी के विकास में प्रोत्साहन देगी। वहीं देश में लोगों से यह भी अपील की गई है कि वे जितना संभव हो नीति वाहनों की बजाय सार्वजनिक परिवहन को तवज्जों दें। याद रहे कि ब्रिटन में सर्वाधिक ढाई लाख चार्जिंग पोइंट हैं और ये वहां हो रही इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री की तुलना में कम पड़ रहे हैं। 
खैर, ये तो सिर्फ एक संकेत है। यूरोप में इलेक्ट्रिक कार क्रांति की शुरूआत हो चुकी है और इंडस्ट्री लोगों को पड़ रही तकलीफों का हल भी ढूंढेगी। लेकिन दूरंदेशी रखने वाले लोग भारत में आने वाले कल की तैयारी इन्हीं संकेतों के बूते कर सकते हैं। इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माता, चार्जिंग पोइंट्स सप्लायर एवं मेन्टेनन्स ऐसी दो नई इंडस्ट्री पनपेगी जो वर्तमान पेट्रोल-डिजल आधारित दुपहिया, तीपहिया, कारों, बसो और ट्रकों के समग्र उद्योग को जोरदार झटका देने वाली है।
दूर क्यों जाना? भारत में गुजरात की आर्थिक राजधानी माने जाने वाले सूरत में इलेक्ट्रिक व्हीकलों का चलन तेजी से बढ़ रहा है। सूरत महानगर पालिका ने बाकायदा इसके लिये एक पॉलिसी बनाई है। सार्वजनिक परिवहन के साधनों को इलेक्ट्रिक किया जा रहा है। बसें इलेक्टिक चल रही हैं। आने वाले समय में चार्जिंग स्टेशनों के लिये बाकायदा योजना पर काम किया जा रहा है। 34 करोड़ की लागत से चार्जिंग स्टेशनों को मंजूरी की कवायद, 25 स्लो और 25 फास्ट चार्जर स्टेशन बनाए जाएंगे। इसके बारे में यहां क्लिक करके पढ़ें। आपकी इस मुद्दे पर क्या राय है, टिप्पणी अवश्य दें।