सूरत : कटलरी लॉरी चालक पिता के बेटे ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी की परीक्षा पास की

सूरत : कटलरी लॉरी चालक पिता के बेटे ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी की परीक्षा पास की

देवेंद्र सरकारी स्कूल में पढ़ता था , एनडीए की परीक्षा पास कर लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में भारतीय सेना में शामिल

सूरत के देवेंद्र पाटिल ने चाणक्य की मेहनत ही वह कुंजी है जो भाग्य का द्वार खोलती है इस कहावत को 100 प्रतिशत मूर्त रूप दिया है। नवगाम क्षेत्र निवासी 18 वर्षीय देवेंद्र पाटिल का चयन कड़ी मेहनत के बाद एनडीए-राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में हुआ है। देवेंद्र के पिता परिवार का समर्थन करने के लिए कटलरी लॉरी चलाते हैं। उनका बेटा अब लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में भारतीय सेना में शामिल होंगे।

बचपन से ही देश सेवा करने का सपना था


साथ ही विभिन्न रक्षा परीक्षाओं की तैयारी करते हुए, देवेंद्र एक स्थानीय छात्र द्वारा संचालित सड़क से सरहद समूह में शामिल हो गए। उन्होंने पढऩा-लिखना और शारीरिक प्रशिक्षण प्राप्त किया, जिससे उन्हें परीक्षा उत्तीर्ण करने में बहुत मदद मिली। युवाओं के प्रेरणास्रोत बने देवेंद्र पाटिल का बचपन से ही रक्षा क्षेत्र में जाने का सपना देश सेवा का था। बॉलीवुड की सोल्जर और शेरशाह जैसी देशभक्तिपूर्ण फिल्मों ने उन्हें अपने निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने की प्रेरणा दी।

पिछले 2 साल से शुरू हुई थी तैयारी


मूल रूप से महाराष्ट्र के विंचूर गांव के रहने वाले देवेंद्र ने सूरत के नवगाम इलाके में महानगरपालिका के नगर प्राथमिक शिक्षा समिति के सरकारी मराठी स्कूल से पहली से 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी की है। देवेन्द्र ने स्कूल से ही एनडीए परीक्षा के लिए सभी आवश्यक मार्गदर्शन प्राप्त करके पिछले 2 वर्षों से तैयारी शुरू कर दी थी।

अभ्यास के लिए वे शीशे के सामने बैठकर स्वयं से संवाद किया करते थे


एनडीए की तैयारी और इसमें आने वाली कठिनाइयों के बारे में बात करते हुए देवेंद्र कहते हैं कि चूंकि इस परीक्षा के लिए गणित और अंग्रेजी विषय की आवश्यकता होती है, इसलिए उन्होंने युट्युब की मदद से स्वाध्याय के माध्यम से गणित में कड़ी मेहनत की और अंग्रेजी के लिए ऑनलाइन कक्षाएं की मदद से पढऩे और लिखने का अभ्यास किया। अंग्रेजी मौखिक अभ्यास के लिए मैं प्रतिदिन शीशे के सामने बैठकर स्वयं से संवाद करता था।

सड़क से सरहद समूह में किया गया सामूहिक अभ्यास बहुत उपयोगी रहा


देवेंद्र ने इस परीक्षा में सफल होने के लिए फिटनेस को बहुत जरूरी बताते हुए आगे कहा कि सड़क से सरहद ग्रुप में किया गया सामूहिक अभ्यास उनके साथ-साथ अन्य लोगों के लिए भी बहुत उपयोगी रहा। उन्होंने कहा कि समान और मैत्रीपूर्ण माहौल होने से लक्ष्य हासिल करना आसान हो जाता है।

परीक्षा की तैयारी की शुरुआत से ही सोशल मीडिया का इस्तेमाल बंद कर दें


देवेंद्र कहते हैं कि एनडीए जैसी कठिन परीक्षा की तैयारी में शारीरिक क्षमता के साथ मानसिक संतुलन जरूरी है, इसलिए उन्होंने रोज सुबह 15 मिनट प्राणायाम और 1.30 घंटे दौडऩे का अभ्यास किया। रोजाना 16 से 18 घंटे पढ़ें। परीक्षा की तैयारी की शुरुआत से ही मैंने सोशल मीडिया का इस्तेमाल बंद कर दिया और मोबाइल फोन का भी सोच-समझकर इस्तेमाल किया। इससे पढऩे के लिए अतिरिक्त समय मिला और एकाग्रता बढ़ी।

सामान्य आर्थिक स्थिति ने भी परिवार में योगदान दिया


आर्थिक स्थिति सामान्य होने के बावजूद परिवार के सहयोग और प्रोत्साहन ने नई ऊर्जा दी। परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने और मेरी पढ़ाई पर असर न पड़े इसके लिए बड़े भाई विशाल ने पढ़ाई अधूरी छोड़ दी और निजी क्षेत्र में काम करने लगे। पिता नियमितता और अनुशासन के सख्त पक्षधर थे।

बेटे की सफलता पर पिता को बेहद गर्व है


देवेंद्र के पिता संजयभाई पाटिल जो परिवार का समर्थन करने के लिए कटलरी लॉरी चलाते हैं, अपने बेटे की सफलता पर बेहद गर्व महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक माता-पिता को अपने बच्चों को पुत्र के पुरुषार्थ की मिसाल कायम कर देश की प्रगति में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

देवेंद्र के दो दोस्तों का भी एसएससी और सीआईएसएफ में प्लेसमेंट हुआ


देवेंद्र पाटिल और साथी दोस्तों 21 वर्षीय समाधान पाटिल और 23 वर्षीय अजय यादव ने कम उम्र में बड़ी सफलता हासिल की है। देवेंद्र के परीक्षा की तैयारी करने वाले दोस्त समाधान और अजय को क्रमश: कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) ओडिशा में भी नियुक्ति मिली। कोरोना काल में उपलब्ध अधिकतम समय के कारण वे पढऩे के लिए अच्छा समय आवंटित कर पाए, जिससे परीक्षा में सफलता की संभावना बढ़ गई ऐसा  देवेंद्र, समधान और अजय तीनों दोस्तों ने एक सूर में कहा।

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